ओपीडी के समय पहुंचे कई मरीज तो डॉक्टर को दिखाए बिना ही अपने घर को लौट गए। मप्र मेडिकल टीचर एसोसिएशन के बैनर तले डॉक्टर तय कार्यक्रम के तहत बुधवार की सुबह ओपीडी में नहीं पहुंचे। इससे ओपीडी की पूरी व्यवस्था जूनियर डॉक्टरों ने ही संभाली। ओपीडी के समय कई मरीज सामूहिक अवकाश पर बैठे डॉक्टरों के पास इस बात को लेकर पहुंचे कि हम लोगों ने ओपीडी की रसीद तो बनवा ली है। पर डॉक्टर के न होने से रसीद रजिस्ट्रर में नहीं चढ़ाई जा रही है।
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नहीं हुए रुटीन के ऑपरेशन
चिकित्सा शिक्षकों की हड़ताल का असर सुबह से ही देखने को मिला। सुबह ओपीडी में डॉक्टर नहीं पहुंचे। उसके बाद अस्पताल में भर्ती जिन मरीजों का बुधवार को ऑपरेशन होना था। उनके ऑपरेशन भी नहीं हो सके। डॉक्टरों के नहीं होने से रूटीन ऑपरेशन भी टाल दिए गए। वहीं, जेएएच अधीक्षक द्वारा वैकल्पिक व्यवस्थाएं की गई थीं।
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तम्बू में डॉक्टरों को देख कई मरीजों की लगी भीड़
सुबह ओपीडी के समय सीनियर डॉक्टर जेएएच में मरीजों को देखते हैं, लेकिन बुधवार को सभी सीनियर डॉक्टर जेएएच कैम्पस में तम्बू में बैठकर अपना विरोध कर रहे थे। इसे देख काफी संख्या में इलाज कराने जा रहे मरीजों की भीड़ तम्बू के पास ही लग गई। मरीज कई लोगों से यही पूछते नजर आए कि आखिर डॉक्टर साहब यहां पर क्यों बैठ गए। अब हमारा इलाज कौन करेगा।
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मांगों को लेकर मुख्यमंत्री से भी चर्चा करेंगेचिकित्सा शिक्षकों की काफी समय से सातवें वेतनमान की मांग चली आ रही है। इसको लेकर एक दिन के लिए सामूहिक अवकाश पर डॉक्टर रहे हैं। दोपहर बाद हमारे प्रतिनिधि मंडल से भोपाल में चीफ सेक्रेटरी की चर्चा हुई है। जल्द ही मांगों को लेकर मुख्यमंत्री से चर्चा की जाएगी।
डॉ. सुनील अग्रवाल, अध्यक्ष मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन
इलाज नहीं मिलने पर तंबू में बैठे डॉक्टर से इलाज के बारे में पूछते हुए
(अमृत अपने पुत्र के साथ)
अशोक नगर से आए मोहन को नहीं मिला इलाज
डॉक्टरों की हड़ताल के चलते कई गंभीर मरीजों को बुधवार को इलाज नहीं मिल सका। अशोक नगर से आए मोहन सिंह के पैरों की हड्डी में समस्या थी। अशोक नगर में इनको इलाज नहीं मिला तो यह ओपीडी में पहुंचे थे, लेकिन डॉक्टर न होने की वजह से इनको निराशा हाथ लगी। वहीं, थाटीपुर से भारत अपने पुत्र अमृत की प्लास्टिक सर्जरी कराने के लिए पहुंचे, लेकिन डॉ. आशीष गुप्ता के नहीं होने से इलाज नहीं मिल सका। इन्होंने पहले यहां दिखाया था। डॉक्टर ने आज की तारीख दी थी।