ग्वालियर

प्रदेश के इस किले में है पानी को फिल्टर व ठंडा गर्म करने की तकनीक

16वीं सदी में जाट राजाओं द्वारा बनवाया गया था ऐतिहासिक किला

ग्वालियरNov 25, 2019 / 05:23 pm

monu sahu

प्रदेश के इस किले में है पानी को फिल्टर व ठंडा गर्म करने की तकनीक

ग्वालियर। 16वीं सदी में जाट राजाओं द्वारा बनवाए गए एक ऐतिहासिक दुर्ग के बारे में आज हम आपको एक ऐसी जानकारी बता रहे है। जिसके बारे में अब तक आपको पता ही नहीं होगा। जी हां हम बात कर रहे हैं भिण्ड के गोहद के ऐतिहासिक किले की। जाट राजाओं द्वारा बनवाए गए गोहद के ऐतिहासिक दुर्ग में 16वीं सदी में भी नहाने के लिए पानी को ठंडा गर्म करने की सुविधा मौजूद थी। दुर्ग के अंदर एक हमामखाना मिला है, जहां पानी को गर्म व ठंडा पानी करने की भट्टी,नाली व कुआं के अवशेष मिले हैं। हमाम के ठीक सामने एक प्राचीन शिव मंदिर भी निकला है। इस संरक्षित दुर्ग का पुरातत्व विभाग संधारण करा रहा है।मरम्मत कार्य के दौरान किले के खण्डर हुए आंतरिक हिस्सों में कई अद्भुत चीजें देखने को मिल रही हैं।
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मंदिर में कोई शिवलिंग नहीं
जाट राजा सिंघन देव द्वारा निर्मित यह किला आज जीर्ण शीर्ण स्थिति में है। बेसली नदी के किनारे बने किले के एक बुर्ज के भीतर बने विशाल कुएं से रेंहट के जरिए नालियों के माध्यम से हमामखाने तक पानी लाया जाता था। पानी को ठण्डा व गर्म करने के लिए वहां दो बड़े टैंक व दो भट्टियां बनी हैं। एक टेंक में गर्म पानी रखा जाता था,जिसके लिए टेंक के नीचे बनी भट्टी में लकडिय़ां जलाने की व्यवस्था थी। गर्म और ठण्डे पानी को चीनी मिट्टी के पाइपों के द्वारा हमामखाने एवं शौचालयों तक लाया जाता था। इन पाइपों में मौसम के अनुरूप ठण्डे गर्म पानी को प्रवाहित किया जाता था। हमामखाने से राजा रानी और अतिथि सामने बने शिव मंदिर में दर्शनों को जाते थे। हालांकि इस मंदिर में कोई शिवलिंग नहीं मिला है।
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1505 ईस्वी में हुआ था किले का निर्माण
किले का निर्माण 1505 ईस्वी में जाट राजा सिंघदेव द्वितीय द्वारा कराया गया था। किला लगभग 5 किमी में फैला है। विशाल आकार के इस किले में प्रवेश के लिए 11 दरवाजे हैं, जिनके नाम यहां के गांवों के नाम पर रखे गए हैं। किले में रानी महल, राजामहल, दीवानए आम, दीवान खास, पूजाघर, नृत्य घर, अखाड़ा, हमामखाना,कुआं आदि वर्तमान में क्षतिग्रस्त हालत में हैं। वर्तमान में किला मप्र के पुरातत्व विभाग के अधीन है, जिसका रखरखाव कराया जा रहा है। किले को अपनी अनूठी निर्माण शैली व वास्तु के लिए 2017 में यूनेस्को एशिया पेसीफिक हेरीटेज अवार्ड मिल चुका है।
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गोहद किले में छिपे हैं कई राज
उप संचालक पुरातत्व ग्वालियर केएल डाबी ने बताया कि किले में पुरातत्व विभाग मरम्मत का कार्य करा रहा है। खुदाई में कई अद्भुत व अनदेखे पुरावशेष मिल रहे हैं, जिन्हें बाहर लाकर हम उनके पुरातन मूल रूप में लाने का प्रयास कर रहे हैं। कुछ दिन पहले ही खुदाई के दौरान किले में जल निकास नाली, पानी के टेंक, पानी को गर्म करने के लिए भट्टियों तथा एक शिवमंदिर के अवशेष निकले हैं। चंबल संभाग में यह एक बड़ी उपलब्धि है। किले के संधारण का कार्य देख रहे पुरातत्व विभाग ग्वालियर के सब इंजीनियर आरबी शाक्य ने बताया कि किले में कई पुराने अवशेष मलबे में दबे हैं, जिन्हें बाहर लाए जाने का कार्य कराया जा रहा है। गोहद किले में जो व्यवस्था हमामखाने की है वैसे इंतजाम केवल ग्वालियर किले में हैं, अन्य किलों में नहीं हैं।
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