बता दें कि, शहर में रहने वाली डॉ. सुजाता बापट की शिकायत के बाद क्राइम ब्रांच की टीम ने इस कारर्वाई को अंजाम दिया है। ग्वालियर एसपी के निर्देश पर सायबर पुलसि सक्रीय की गई। इस दौरान जिन दो खातों में अज्ञात आरोपी ने आवेदिका डॉ. सुजाता वापट को डिजिटल अरेस्ट का डर दिखाकर 38 लाख रुपए ट्रांसफर कराए थे। उन खातों से ठगी की राशि कई अलग-अलग बैंक खातों मे ट्रांसफर की गई। तकनीकी जानकारी के आधार पर इन खातों में से एक खाता को चिन्हित किया गया, जिसमें राशि पहुंची थी। वो खाता भोपाल का था। इसके बाद खाताधारक को गिरफ्तार करने एक टीम भोपाल रवाना हुई।
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भोपाल से दो आरोपी धराए
मामले को लेकर ग्वालियर एसपी धर्मवीर सिंह का कहना है कि आरोपी खाताधारक शाहरुख खान भोपाल के एशबाग इलाके का रहने वाला है। जबकि पकड़ा गया दूसरा आरोपी लईक बैग शहर के बुधवारा क्षेत्र का निवासी है। दोनो आरोपीयों से पूछताछ और मोबाइलों के परीक्षण के आदार पर पता चला कि आरोपी लईक बेग चाइना और यूएई के साथियों के साथ मिलकर साइबर ठगी की वारदातों को अंजाम दे रहे हैं। यह फ्रॉडस्टर चीन-यूएई से ऑपरेट कर रहे हैं। इन लोगों ने फ्रॉड की राशि यूएसडीटी के जरिए अपने साथियों को यूएई और चीन भेजी है। फिलहाल, पुलि आरोपियों से पूछताछ में जुटी हुई है।इस तरह ठगों ने महिला डॉक्टर को बनाया शिकार
ठगी का शिकार हुई डॉ सुजाता बापट ने पुलिस शिकायत में लिखवाया था कि राजीव गुप्ता नाम के व्यक्ति का उनके पास कॉल आया। उसने कहा कि वो डीएचएल से बात कर रहा है। आपका एक पार्सल लखनऊ से म्यांमार के लिए बुक हुआ है। जिसमें 20 पासपोर्ट, तीन क्रेडिट कार्ड, एक लैपटॉप, 50 ग्राम एमडीएमए और 04 किलोग्राम क्लॉथ हैं। बुकिंग एड्रेस ए-16 ओमनगर रोड पवनपुरी आलमबाग लखनऊ से हुआ है। रिसीवर का एड्रेस जॉन डेबिड नि० हाउस न0 207 सिटी डेगान स्टेट यांगून म्यांमार बताया। मैने उसको मना किया कि मेरा पार्सल नहीं है तो उसने बोला कि कुछ गड़बड़ है तुरंत आप आलमबाग पुलिस स्टेशन में शिकायत करें। मैने कहा कि मैं तो ग्वालियर में हूं तो उसने बोला कि मैं आपकी कॉल पुलिस स्टेशन कनेक्ट करता हूं। इसपर मेरी ओर से सेहमति बनते ही उसने सवाल किया कि आप टेलीग्राम यूज करती हैं? जिस पर मेरी और से इंकार किया गया। इसपर उसने टेलीग्राम डाउनलोड करने को कहा, इसपर मैने टेलीग्राम भी डाउनलोड कर लिया। फिर टेलीग्राम पर वीडियो कॉल आया। उस वीडियो में एक पुलिस यूनिफार्म का व्यक्ति पुलिस स्टेशन जैसे कमरे जिसमे पुलिस से संबंधित झंडा, पुलिस जैसा लिखा हुआ दिखा। सामने पुलिस कर्मी के भेस में बैठे शख्स ने कहा- आपका कैश सीबीआई के पास है। आपका नाम अजय मिश्रा केस ह्यूमन ट्रैफिकिंग और मनी लॉन्ड्रिंग में संदिग्ध है। मै सीबीआई ऑफीसर से आपकी बात कराता हूं। उसने किसी से कहा कि मैडम से बात करिये सर तो उस व्यक्ति ने बोला कि मैडम को अरेस्ट करो, उनके खिलाफ अरेस्ट वारंट और असेट सीज ऑर्डर है। इसपर पुलिस वाले ने कहा कि मैडम का आधार और बाकी की जानकारी से लग रहा है कि मैडम निर्दोष हैं। उसने फिर दोबारा सीबीआई अफसर से मेरी बात कराई तो उन्होंने मुझसे कहा कि म्यांमार में 60 लोगों के आंखें, नाक, कान निकाल लिये हैं जो ह्यमून ट्रेफिकिंग में है।
उनके परिवार के 3 करोड़ 80 लाख रुपए आपके एचडीएफसी अकाउंट में आए हैं। मैने कहा कि मेरा अकाउंट एचडीएफसी बैंक में है ही नहीं। उन्होंने अकाउंट की डिटेल्स ले ली और कहा कि इसके बारे में आप अपने परिवार के किसी भी व्यक्ति से बात नही करेंगी और न ही किस का कॉल रिसीव करेंगी। उन्होंने एक कॉन्फीडेन्सियल एग्रीमेन्ट का लेटर भी मुझे भेजा था। मेरे द्वारा फोन पर बात कर रहे व्यक्तियों के अनुसार 38 लाख रुपए उनके बताये बैंक खातों मे ट्रांसफर किए गए थे। लेकिन अपने पैसे जब वापस मांगे जाने पर उन्होंने पैसे वापस नहीं किए। तब मुझे ठगी का अहसास हुआ।
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