हाईकोर्ट के इस आदेश से चंबल अंचल के डकैत पीड़ितों को अब सरकारी नौकरी मिलना संभव नहीं हो पाएगा। आपको बता दें कि, साल 1972 और 1985 में मध्य प्रदेश शासन के गृह और सामान्य प्रशासन विभाग की ओर एक परिपत्र जारी किया गया था जिसमें चंबल अंचल में डकैत पीड़ित परिवार के सदस्य को सरकारी नौकरी देने की बात कही गई थी।
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डकैत पीड़ित था याचिकाकर्ता
बता दें कि, इस मामले हाईकोर्ट में याचिका लगाने वाले याचिकाकर्ता अवधेश शर्मा खुद एक डकैत पीड़ित है। उन्होंने अपनी याचिका में बताया था कि उन्होंने अपने लिए सरकारी नौकरी की मांग इसलिए की है क्योंकि साल 1981 में डकैत मनिया महावीर की गैंग ने उसके दादा नरसिंह राव की हत्या कर दी थी। यही नहीं, उनके पिता राम नरेश शर्मा को भी डकैत राजू कुशवाह गैंग ने अगवा किया था, जिन्हें जनवरी 1997 को फिरौती की रकम देने के बाद छोड़ा गया था। याचिकाकर्ता ने कोर्ट में उसी परिपत्र का हवाला दिया जिसमे राज्य शासन ने डकैत पीड़ितों को सरकारी नौकरी देने की बात कही थी। इसी आधार पर उन्होंने साल 2012 में भिंड कलेक्टर को सरकारी नौकरी का आवेदन दिया था लेकिन उन्होंने इस आवेदन खारिज कर दिया था। यह भी पढ़े – Jabalpur Jail : सेंट्रल जेल से लापता हुआ कैदी, 15 घंटे बाद परिसर के ही तालाब में छिपा मिला