35 लाख रुपए की लागत से बनी गोशाला का 6 माह बाद भी उपयोग नहीं
पत्रिका स्पॉट लाइट : मवेशियों के लिए जरूरी पेयजल तक के इंतजाम नहीं
पंचायत 3 माह पहले बिजली और ट्यूबवेल लगाने संबंधित विभाग को कर चुका है आवेदन, नहीं हो रही सुनवाई
चालू हो तो दो पंचायतों के आधा दर्जन गांवों के लोगों को होगा फायदा
खेत में खड़ी फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं जानवर
गुना/म्याना . एक तरफ जहां जिले के कई गांव गोशाला न होने की वजह से परेशानी का सामना कर रहे हैं, वहीं बमोरी विधानसभा की ग्राम पंचायत खजूरी में 35 लाख की लागत से बनकर तैयार हो चुकी गोशाला का उपयोग नहीं हो पा रहा है। क्योंकि गोशाला में वह सुविधाएं नहीं हैं जो मवेशियों के लिए बहुत जरूरी हैं। यहां न तो पानी के लिए कोई इंतजाम हैं और न ही बिजली की कोई व्यवस्था। इसके संचालन की जिम्मेदारी संभालने वाला पंचायत प्रशासन का कहना है कि वह ट्यूबवेल और बिजली कनेक्शन के लिए संबंधित विभाग को आवेदन दे चुका है लेकिन वे सुनवाई नहीं कर रहे हैं। जिससे गोशाला का उपयोग नहीं हो पा रहा है।
जानकारी के मुताबिक ग्राम पंचायत खजूरी में गोशाला का निर्माण दो साल पहले पूर्व सरंपच निरपथ जाटव के कार्यकाल में 35 लाख रुपए की लागत से कराया था। गोशाला काफी बड़े एरिया में बनाई गई है। जिसकी क्षमता करीब 250 मवेशियों को रखने की है। गोशाला निर्माण का काम पूरा हुए 6 माह से भी अधिक समय गुजर चुका है लेकिन बिजली और पानी जैसी जरूरी सुविधाओं के अभाव में इसका उपयोग पंचायत नहीं कर पा रही है। इसके चालू न होने से न सिर्फ खजूरी पंचायत के गांव बल्कि पड़ोसी पंचायत पदमनखेड़ी के ग्रामीणों को भी इसके लाभ से वंचित होना पड़ रहा है।
– इसलिए जरूरी है गोशाला का चालू होना बता दें कि इस समय खेतों में रबी की फसल खड़ी है। जिसे जानवर नुकसान पहुंचाते हैं। खेत अलग-अलग स्थानों पर होने से किसान जानवरों को रोकने में सक्षम नहीं हैं। क्षेत्र के गांव सेंधवा, नासिरा, पदमनखेड़ी, शाहपुर, सिंगाखेड़ी में चरनोई भूमि न होने से किसानों के अधिकतर मवेशी गांव से बाहर सड़कों पर घूम रहे हैं। जिससे दुर्घटनाओं की संभावना बढ़ गई है। इन हादसों में न सिर्फ वाहन चालक घायल हो रहे हैं बल्कि जानवर भी इसका शिकार हो रहे हैं। इसके अलावा जिस गोशाला निर्माण पर 35 लाख रुपए खर्च किए गए हैं उसका उपयोग न होने से उसकी देखरेख भी नहीं हो पा रही है। वर्तमान में गोशाला के कई गेट टूट चुके हैं। आगामी समय में टीनशेड भी चोरी हो सकते हैं।
– इनका कहना है हमारे गांव में 250 मवेशियों की क्षमता वाली गोशाला तो बनकर तैयार हो चुकी है। लेकिन ट्यूबवेल और बिजली कनेक्शन न होने से उसका उपयोग जानवरों के लिए नहीं कर पा रहे हैं। बिजली कंपनी को कनेक्शन के लिए और पीएचई विभाग को ट्यूबवेल खनन के लिए आवेदन कर चुके हैं। लेकिन दोनों ही विभाग के अधिकारी इसे गंभीरता से नहीं ले रहे।
गीता गोस्वामी, सरपंच ग्राम पंचायत खजूरी – चरनोई भूमि का भी नहीं हो पा रहा उपयोग गांव में सरकारी चरनोई भूमि उपलब्ध तो है लेकिन उसमें जानवरों के लिए चारा नहीं है। क्योंकि पूर्व सचिव द्वारा हमें एमबी (माप पुस्तिका) उपलब्ध नहीं कराई। जिससे हम उस भूमि में चारे के लिए बीज नहीं डाल पाए हैं। पीएचई द्वारा बोर न लगाने और बिजली कंपनी द्वारा कनेक्शन न देने की वजह से गोशाला भी उपयोग विहीन बनी हुई है।
मनोहर शर्मा, सचिव
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