विश्वविद्यालय में आयोजित प्रतिमा अनावरण कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में प्रतिमा स्थापना के पश्चात शिक्षकों व छात्र-छात्राओं को विचार विमर्श करने और उनके व्यक्तित्व व कृतित्व को समझने का मौका मिलेगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश के प्रत्येक विश्वविद्यालय में पंडित दीनदयाल उपाध्याय शोध पीठ की स्थापना की गयी है। पंडित दीनदयाल के व्यक्तित्व व कृतित्व पर 15 खण्डों का विस्तृत वांगमय प्रकाशित किया गया है जिसका मूल्य लगभग 3500 रुपये है। इसे आसानी से खरीद सकते हैं। उन्होंने अपील किया कि लोग केवल इसे खरीदे नहीं बल्कि पढ़ें भी, जिससे उनके विचारों से अवगत हो सकें।
राज्यपाल ने कहा कि उनका सौभाग्य है कि उनको पंडित दीनदयाल का सानिध्य मिला। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त किया कि एक वर्ष पूर्व मूर्ति का भूमि पूजन उन्होंने किया और आज लोकार्पण भी कर रहे हैं। राज्यपाल ने मूर्तिकार उत्तम पाचारने और उनके पुत्र सुबोध पाचारने कोे सम्मानित भी किया। एक वर्ष में प्रतिमा तैयार करने पर बधाई भी दी।
मुख्यमंत्री
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि गोरखपुर विश्वविद्यालय का नामकरण दीनदयाल जी के नाम पर होने के बाद विवि ने उनकी प्रतिमा स्थापित करने में बीस साल लगा दिए मगर आज जो प्रतिमा स्थापित हुई है, वह विवि के लोगों को उनका हर कदम पर अहसास कराती रहेगी। दरअसल हम पश्चिम का मॉडल अपनाने में जुटे रहे और इस चक्कर में खुद, अपने परिवार या फिर बहुत अधिक जातियों तक ही सिमटे रहे। उन्होंने कहा कि 100 वर्ष के बाद भी पंडित दीनदयाल के विचारों, सिद्धान्तों की प्रासंगिकता बनी हुई है। उनकी नीतियों पर चलकर सरकार योजनाएं बनाकर क्रियान्वित कर रही है।
वरिष्ठ पत्रकार जगदीश उपासने ने कहा कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय के जन्मशती वर्ष में एकात्म मानववाद के 50 साल पूरे हुए हैं। उनका एकात्मक मानववाद का सिद्धान्त व्यक्ति, परिवार, समाज, देश, विश्व पर्यावरण को जोड़ता है। वे एक आदर्श राजनैतिक व्यक्ति, आदर्श पत्रकार, अर्थवेत्ता थे। उनकी नीतियों के अनुसार योजनाएं बनाकर सरकारें गरीब व्यक्ति का उत्थान कर सकती है। कार्यक्रम में पहुंचे राज्यपाल को एनसीसी के कैडेट्स में गार्ड ऑफ ऑनर दिया।
विश्वद्यालय के कुलपति प्रो. वीके सिंह ने सभी का स्वागत किया। ललित कला एवं संगीत विभाग की छात्राओं ने राष्ट्रगीत वन्देमातरम, कुल गीत व राष्ट्रगान प्रस्तुत किया। कुलपति ने राज्यपाल और मुख्यमंत्री को पंडित दीनदयाल उपाध्याय पर लिखित 15 खण्डों के वांगमय साहित्य भेंट किया। कार्यक्रम के दौरान सूचना व जनसम्पर्क विभाग लखनऊ द्वारा प्रकाशित अंत्योदय स्मारिका, प्रोफेसर श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी द्वारा लिखित प्राचीन भारतीय चिन्तन धारा और प्रोफेसर हर्ष सिन्हा तथा प्रोफेसर विनोद कुमार सिंह द्वारा लिखित सैन्य मनोविज्ञान पुस्तकों का विमोचन किया गया।
संचालन विवि के पीआरओ प्रो. हर्ष कुमार सिन्हा व धन्यवाद ज्ञापन कार्यक्रम संयोजक प्रोफेसर श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी ने किया। इस अवसर पर नगर विधायक डॉ. राधामोहन दास अग्रवाल, इलाहबाद राज्य विवि के कुलपति प्रो. राजेन्द्र प्रसाद, सिद्दार्थ विवि के कुलपति प्रो. रजनीकान्त पाण्डेय, प्रो. अरविन्द दीक्षित, शैलेष कुमार शुक्ला, प्रो. योगेन्द्र सिंह, प्रो. श्रीनिवास सिंह, प्रमुख सचिव सूचना अवनीश अवस्थी, मण्डलायुक्त अनिल कुमार, जिलाधिकारी राजीव रौतेला, डीडीयू, गोरखपुर के पूर्व कुलपति प्रो. यूपी सिंह, प्रो. रामअचल सिंह, विश्वविद्यालय के संकाय अध्यक्ष, प्रोफेसर गण, छात्र व छात्राएं आदि मौजूद रहे।
प्रतिमा है 12 फीट ऊंची 12 फीट ऊंची और 1100 किग्रा वजन वाली दीनदयाल उपाध्याय की भव्य प्रतिमा को विख्यात मूर्तिकार उत्तम पाचारने ने बनाया है। मूर्ति को 11 मीटर लम्बे, 6.5 मीटर. चैड़े और लगभग तीन मीटर ऊंचे प्लेटफार्म पर स्थापित किया गया है। प्लेटफार्म का निर्माण यूपी प्रोजेक्ट कारपोरेशन लिमिटेड ने कराया है। प्रतिमा की लागत करीब 24 लाख रुपये है।