वंदे भारत एक्सप्रेस को लेकर हो रही तैयारियां
इसके लिए संबंधित विभागों से प्रस्ताव और अनुमानित लागत पर रिपोर्ट मांगी है।रफ्तार बढ़ाने के लिए पटरी व सिग्नल सिस्टम को आधुनिक करने के साथ ही संरक्षा और ओवरहेड इक्यूपमेंट (ओएचई) को भी और मजबूत किया जाएगा। रेल लाइनों के मोड़ (कर्व) को न्यूनतम किया जाएगा। रेल प्रशासन ने सभी संबंधित विभागों से समीक्षा के बाद विस्तृत प्रस्ताव तैयार कर अनुमानित लागत की जानकारी मांगी है। रेलवे प्रशासन ने यह कवायद गोरखपुर से लखनऊ-प्रयागराज वंदे भारत एक्सप्रेस को चलाए जाने की तैयारी के बाद शुरू की है।
इसके लिए संबंधित विभागों से प्रस्ताव और अनुमानित लागत पर रिपोर्ट मांगी है।रफ्तार बढ़ाने के लिए पटरी व सिग्नल सिस्टम को आधुनिक करने के साथ ही संरक्षा और ओवरहेड इक्यूपमेंट (ओएचई) को भी और मजबूत किया जाएगा। रेल लाइनों के मोड़ (कर्व) को न्यूनतम किया जाएगा। रेल प्रशासन ने सभी संबंधित विभागों से समीक्षा के बाद विस्तृत प्रस्ताव तैयार कर अनुमानित लागत की जानकारी मांगी है। रेलवे प्रशासन ने यह कवायद गोरखपुर से लखनऊ-प्रयागराज वंदे भारत एक्सप्रेस को चलाए जाने की तैयारी के बाद शुरू की है।
लगाए जा रहे आटोमेटिक सिग्नल
काफी कवायद पहले से ही की जा रही है पूरी गोरखपुर-लखनऊ रूट पर एबसल्यूट सिग्नल को बदलकर आटोमेटिक सिग्नल सिस्टम लगाया जा रहा है। इसके पूरा होते ही इस रूट पर ट्रेनें 110 की बजाय 130 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से दौड़ेंगी। ट्रैक की रफ्तार बढ़ाने के लिए दो सालों से चल रहा काम अब लगभग पूरा हो गया है। अब केवल सिग्नल सिस्टम को बदलने का काम बचा है। यह काम भी तेजी से चल रहा है। डोमिनगढ़ से टिनिच के बीच केबल रूट सर्वे मार्किंग ऑफ का काम पूरा हो गया है। यहां अब ट्रेंचिंग का काम शुरू कर दिया गया है। इसके पूरा होते ही ट्रेनें 130 किमी प्रतिघंटा की स्पीड से चलाई जा सकेंगी।
काफी कवायद पहले से ही की जा रही है पूरी गोरखपुर-लखनऊ रूट पर एबसल्यूट सिग्नल को बदलकर आटोमेटिक सिग्नल सिस्टम लगाया जा रहा है। इसके पूरा होते ही इस रूट पर ट्रेनें 110 की बजाय 130 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से दौड़ेंगी। ट्रैक की रफ्तार बढ़ाने के लिए दो सालों से चल रहा काम अब लगभग पूरा हो गया है। अब केवल सिग्नल सिस्टम को बदलने का काम बचा है। यह काम भी तेजी से चल रहा है। डोमिनगढ़ से टिनिच के बीच केबल रूट सर्वे मार्किंग ऑफ का काम पूरा हो गया है। यहां अब ट्रेंचिंग का काम शुरू कर दिया गया है। इसके पूरा होते ही ट्रेनें 130 किमी प्रतिघंटा की स्पीड से चलाई जा सकेंगी।
हाईस्पीड के सामने न आने पाए कोई बाधा
रेलवे प्रशासन का ट्रैक की रफ्तार बढ़ाने के साथ ही संरक्षा पर भी पूरा जोर है। इसके लिए ट्रैक के दोनों ओर स्टील फेंसिंग की तैयारी शुरू हो गई है। जल्द ही ले आउट प्लान कर आगे की कार्रवाई की जाएगी। इससे मैन रनओवर और कैटल रन ओवर पर अंकुश लगाया जा सकेगा।
रेलवे प्रशासन का ट्रैक की रफ्तार बढ़ाने के साथ ही संरक्षा पर भी पूरा जोर है। इसके लिए ट्रैक के दोनों ओर स्टील फेंसिंग की तैयारी शुरू हो गई है। जल्द ही ले आउट प्लान कर आगे की कार्रवाई की जाएगी। इससे मैन रनओवर और कैटल रन ओवर पर अंकुश लगाया जा सकेगा।
सुरक्षा के लिए ये प्रमुख काम शामिल
(1) रेल लाइनों यानी पटरियों के बीच में नहीं रहेगा कोई गैप (2) न्यूनतम होंगे रेल लाइनों के कर्व, ओवरहेड इक्वीपमेंट दुरुस्त होंगे। (3) स्टेशन यार्ड में क्रासिंग पर जोड़ के बोल्ट भी हटा दिए जाएंगे।
(1) रेल लाइनों यानी पटरियों के बीच में नहीं रहेगा कोई गैप (2) न्यूनतम होंगे रेल लाइनों के कर्व, ओवरहेड इक्वीपमेंट दुरुस्त होंगे। (3) स्टेशन यार्ड में क्रासिंग पर जोड़ के बोल्ट भी हटा दिए जाएंगे।
(4) पटरी वजनी होगी, प्रति मीटर 52 किलो की बजाय 60 किलो वजन होगा (5) 350 किलोग्राम के लगाए जाएंगे चौड़े वाले कंकरीट के स्लीपर