जिला प्रशासन ने यह भूमि नगर निगम को दी अपर नगर आयुक्त निरंकार सिंह के मुताबिक जिला प्रशासन की ओर से यातायात व्यवस्था को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए सिविल लाइन स्थित सिटी माल के सामने की नजूल की भूमि नगर निगम को दी गई है। मगर, वहां पहले से पार्किंग स्टैंड संचालित हो रहा है, जबकि नगर निगम ने किसी को भी पार्किंग का ठेका नहीं दिया है।
3 साल बाद अब चेकिंग का आया ख्याल उनका कहना है कि शुक्रवार को जब उनके नेतृत्व में प्रवर्तन दल की टीम पहुंची तो पार्किंग चलाने वाले भागने लगे। टीम ने दौड़ाकर कुछ लोगों को पकड़ा तो उन्होंने मुख्य संचालक का नाम भूपेंद्र दूबे बताया। उनके पास से जो रसीद की दो गड्डी मिली, उस पर रेलवे कार पार्किंग लिखा है। रसीद पर कार पार्किंग का शुल्क 40 रुपये दर्ज है।निगम प्रशासन ने भूपेंद्र को पार्किंग माफिया बताते हुए उसके खिलाफ एफआइआर दर्ज करने के लिए कैंट पुलिस को निर्देश दिया है।
नवंबर 2020 में अस्थाई पार्किंग पर बनी थी सहमति तत्कालीन जिलाधिकारी के. विजयेंद्र पांडियन के निर्देश पर सदर तहसील प्रशासन ने जनवरी, 2020 में सिटी माल स्थित नजूल की करीब डेढ़ एकड़ जमीन खाली कराई थी। उसी समय वहां स्थायी पार्किंग बनाने की योजना था, मगर उस पर अमल नहीं हो सका। नवंबर, 2020 में वहां अस्थायी पार्किंग पर सहमति बनी।बाकायदा तत्कालीन मंडलायुक्त जयंत नार्लिंकर, जिलाधिकारी के. विजयेंद्र पांडियन, तत्कालीन एसएसपी जोगेंद्र कुमार और तत्कालीन नगर आयुक्त अंजनी कुमार सिंह ने स्थल निरीक्षण कर यह निर्णय लिया था। इसके कुछ दिन बाद ही वहां पार्किंग का संचालन होने लगा। अब नगर निगम दावा कर रहा कि प्रशासन ने निगम को पार्किंग का संचालन करने के लिए यह भूमि दी है, लेकिन उसने अभी तक किसी को ठेका ही नहीं दिया।
करोड़ों की हो चुकी कमाई सिटी माल के सामने संचालित हो रहे अवैध स्टैंड के जरिये पिछले तीन साल से संचालकों की तरफ से करीब एक करोड़ रुपये की कमाई की गई है। यहां रोजाना करीब 200 कार पार्क होती हैं। प्रत्येक से 40 रुपये शुल्क लिया जाता है।