गोरखपुर

सरकार ने मांगी एक और जानकारी, छह माह के अंदर बताएं, कितने विदेशी पशु पक्षी पाल रखे हैं, कराएं रजिस्ट्रेशन

अगर आपके पास विदेशी पशु-पक्षी हैं तो सरकार को बताना होगा। इसकी पूरी जानकारी ऑनलाइन देनी होगी। इसके लिये एक वेबसाइट लांच की गयी है, जिसपर पूरी जानकारी अपलोड करनी होगी। इसके लिये छह माह का समय दिया गया है।

गोरखपुरJun 27, 2020 / 07:53 pm

रफतउद्दीन फरीद

विदेशी पशु पक्षी

गोरखपुर/देवरिया. क्या आप पशु पक्षी पालने के शौकीन हैं, या आपने विदेशी परिंदे या फिर कोई जानवर पाल रखा है? अगर हां तो आपको इसके बारे में सरकार को पूरी जानकारी देनी होगी। किसी किस्म की परेशानी न हो इसलिये सरकार ने पूरी जानकारी ऑनलाइन देने को कहा है। इसके लिये बाकायदा एक वेबसाइट भी लांच की है। इसी पर पूरा ब्योरा अपलोड करना होगा।

 

 

सरकार की इस पूरी कवायद का मक़सद है यह जानना है की भारत में कितने और किन-किन प्रजातियों के विदेशी पशु-पक्षी हैं। इसके अलावा सूत्रों की मानें तो इस पूरी कवायद के पीछे इसे रेगुलेट करना भी सरकार की मंशा है। इसके लिये भारत सरकार ने एक वेबसाइट www.parivesh.com लांच की है। जिन लोगों ने अपने घरों में शौकिया विदेशी पशु-पक्षियों को (जीवित या मृत) रखा है उन्हें इसकी पूरी जानकारी इसी वेबसाइट पर अपलोड करनी होगी। इसके लिये छह महीने का समय दिया गया है। कौन-कौन सी और कितनी जानकारी देनी है इसे लेकर बहुत घबराने की बात नहीं वेबसाइट पर यूज़र मैनुअल की भी मौजूद है। इसके ज़रिये सभी जानकारियां लेने के साथ ही सूचनाएं अपलोड करने में भी आसानी होगी।

 

 

 

सरकार कराएगी जांच, देगी लाइसेंस

वेबसाइट पर जानकारी अपलोड हो जाने के बाद सरकार उसकी पूरी जांच कराएगी। जानकारी अपलोड होने के बाद राज्य के मुख्य वन्‍य जीव प्रतिपालक के पास जाएगा। संबंधित ज़िले के वन विभाग के अधिकारियों के ज़रिये इसकी जांच करायी जाएगी। वो इसकी रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को को भेजेंगे। इसके बाद इसका आंकलन किया जाएगा। उसी के आधार पर सरकार संबंधित व्यक्तियों को पशु पक्षियों को रखने का लाइसेंस जारी करेगी।

 

 

बोले अधिकारी

प्रभागीय निदेशक, सामाजिक वानिकी देवरिया प्रमोद कुमार गुप्ता ने बताया है कि विदेशी प्रजाति के जीवित या मृत पशु-पक्षियों को पालने वाले लोगों से भारत सरकार ने वेबसाइट के जरिए ब्योरा मांगा है। इसकी जानकारी छह महीने के अंदर इसकी सूचना अपलोड करनी होगी। इसकी जांच मिलने पर विभाग द्वारा जांच कर उच्चाधिकारियों को भेजी जाएगी।

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