योगी के काफिले में योगी की लाल रंग की एसयूवी सातवें नंबर पर थी। शहर के करीब पहुंचते ही तकरीबन 100 चार पहिया और सैकड़ों की संख्या में बाइक भी जुड़ चुकी थीं। एक पत्थर काफिले में मौजूद सातवीं गाड़ी यानी सीएम योगी के गाड़ी पर लगा। योगी के काफिले पर हमला हो चुका था। हमला सुनियोजित था।
पूर्व पुलिस अधिकारी शैलेंद्र सिंह ने बताया, ”जब मऊ का दंगा हुआ था उस वक्त मुख्तार अंसारी खुली जीप में घूमता था। जहां पुलिस प्रशासन सब फेल हो रहा हो वहां मुख्तार खुली जीप में घूम रहा था। उस समय सीएम योगी आदित्यनाथ गोरखपुर से वहां दौरा करने के लिए आ रहे थे।”
पूर्व पुलिस अधिकारी शैलेंद्र सिंह ने बताया, “क्योंकि एकतरफा कार्रवाई हो रही थी तो योगी के काफिले पर बम फेंका गया जान से मारने के लिए। संयोग था कि उन्होंने गाड़ी बदल दी थी, नहीं तो उस वक्त बहुत बड़ा हादसा हो जाता। समझा जा सकता है कि मुख्तार का कितना मन बढ़ा हुआ था।”
उन्होंने आगे बताया, ”जेल में जब मुख्तार गया तो बड़े-बड़े वरिष्ठ अधिकारी उसके साथ जाकर बैडमिंटन खेलते थे। वहां दरबार लगता था। जेल से बाकायदा इनकी सरकार चलती थी। बाहर के ठेके-पट्टे, किडनैपिंग और तमाम उलटे-सीधे काम सब वहीं से चलते थे।”