7 मार्च 2006 को बनारस एक बाद एक धमाकों से गूंज उठा था। संकटमोचन मंदिर, कैंट रेलवे स्टेशन और दशाश्वमेध घाट पर सीरियल ब्लास्ट हुए थे। संकटमोचन मंदिर में ब्लास्ट के बाद वाराणसी के लंका थाने में केस दर्ज किया गया था। वहीं वाराणसी कैंट रेलवे स्टेशन पर हुए धमाके का मामला जीआरपी थाने में तो दशाश्वमेध घाट धमाके का केस दशाश्वमेध घाट थाने में दर्ज किया गया था। इन तीनों धमाकों में कुल 16 लोगों की मौत हो गई थी। वहीं 76 से अधिक लोग बुरी तरह से घायल हुए थे। जांच के बाद पता चला कि इन तीनों धमाकों को पांच आतंकियों ने अंजाम दिया था। इनमें से एक आतंकी मौलाना जुबेर 2007 में ही एलओसी पर एनकाउंटर में मारा गया था।
यह भी पढ़ें – नूपुर शर्मा के पक्ष में उतरीं साध्वी प्राची, बोलीं- सरकार में हिम्मत तो इन्हें गिरफ्तार करे 5 अप्रैल 2006 को पुलिस ने किया था गिरफ्तार वहीं, 5 अप्रैल 2006 को पुलिस ने मूलरूप से प्रयागराज के फूलपुर के रहने वाले वलीउल्लाह को गिरफ्तार किया था। पुलिस ने वली उल्लाह के कब्जे से अवैध हथियार के साथ आरडीएक्स डिटोनेटर बरामद किया था। अदालत में पेश कर उसे जेल भेज दिया गया था। जबकि अभी बाकी के तीन आतंकियों की अब तक पहचान नहीं हो सकी है।
यह भी पढ़ें – आजम खान की भैंस ढूंढने वाली यूपी पुलिस अब भैंस के बछड़े का कराएगी डीएनए टेस्ट इसलिए गाजियाबाद ट्रांसफर किया गया था केस आश्चर्य की बात ये है कि वाराणसी सीरियल ब्लास्ट के आरोपी की तरफ से वाराणसी का कोई अधिवक्ता मुकदमा लड़ने को तैयार नहीं था। इसी कारण हाईकोर्ट ने इस मामले को गाजियाबाद स्थानांतरित कर दिया था। तब से यही सुनवाई चल रही थी।