यह भी पढ़ें: Rajim Mela: महानदी की रेत उकेर कर बनाई प्रभु राम की तस्वीर, ऋषिकेश और हरिद्वार की तर्ज पर सजा झूला… जुट रहे लाखों श्रद्धालु राजिम में लगने वाले मेले का नाम रमन सरकार में राजिम कुंभ मेला हुआ करता था, जिसे पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने राजिम पुन्नी मेला कर दिया था। वर्तमान सरकार ने फिर इस मेला का नाम बदलने के लिए विधानसभा में संशोधन विधेयक लाया था, जो पारित किया गया था।
Rajim Mela: राज्यपाल ने दी मंजूरी
अब इसे राज्यपाल रमेन डेका ने मंजूरी दे दी है। राजिम पुन्नी मेला को अब राजिम कुंभ (कल्प) मेला नाम से जाना जाएगा। सरकारी कामकाज में इसे अब कुंभ (कल्प) मेला नाम से प्रतिस्थापित किया गया है। इसका राजपत्र में प्रकाशन किया गया है।Rajim Mela: राजिम का पुराना नाम यह था
इस स्थान का प्राचीन नाम कमलक्षेत्र है। ऐसी मान्यता है कि सृष्टि के आरम्भ में भगवान विष्णु के नाभि से निकला कमल यहीं पर स्थित था और ब्रह्मा जी ने यहीं से सृष्टि की रचना की थी। इसीलिये इसका नाम कमलक्षेत्र पड़ा। राजिम को छत्तीसगढ़ का प्रयाग मानते हैं, यहाँ पैरी नदी, सोंढुर नदी और महानदी का संगम है।Rajim Mela: राजिम मेला क्यों मनाया जाता है
माघी पूर्णिमा के दिन को भगवान राजीव लोचन के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसके उपलक्ष्य में सदियों से राजिम के इस पावन भूमि में मेला लगता आ रहा है। Rajim Mela: इससे संबंधित और भी ख़बरें राजिम कुंभ मेले में जान से खिलवाड़ शहर में इन दिनों राजिम कुंभ मेले की तैयारी चल रही है। महानदी के इस पार हो या उस पार, दोनों तटों पर कोई न कोई काम रोज चल रहा है। सोमवार को कुछ मजबूर लक्ष्मण झूले का रंग-रोगन करते दिखे। ठेकेदार ने इन्हें सुरक्षा के लिए न तो हलमेट दिया है, न ही कोई सुरक्षा रस्सी बांधी है। यहां पढ़ें पूरी खबर
राजिम कुंभ मेला में अयोध्या राम मंदिर की छवी राजिम कुंभ कल्प मेला आयोजन को लेकर शनिवार को धर्मस्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल की अध्यक्षता में बैठक हुई। राजिम कुंभ मेला के पहली ही बैठक में मंत्री के ग्लैमर और साधु-महात्माओं की उपस्थिति ने बता दिया कि इस बार का राजिम कुंभ भव्य रूप से होगा। यहां पढ़ें पूरी खबर