पिछले महीने भारतीय रिजर्व बैंक ( आरबीआई ) ने बैंकिंग विनियमन अधिनियम के प्रावधानों के तहत पीएमसी बैंक पर नियामक प्रतिबंध लगाए थे। आरबीआई ने शुरू में जमाकर्ताओं को 1,000 रुपये निकालने की अनुमति दी थी, बाद में इसे बढ़ाकर 25,000 रुपये कर दिया गया और अब बढ़ाकर 40,000 रुपये कर दिया गया है, लेकिन ग्राहक अपने सभी खातों तक पूरी पहुंच की मांग कर रहे हैं। इस बीच, कम से कम तीन मौतें हुई हैं, जिसके लिए बैंक संकट को जिम्मेदार ठहराया गया है।
यह भी पढ़ेंः- रियल एस्टेट सेक्टर पर मंदी की मार, पिछले साल के मुकाबले 25 फीसदी घटी मकानों की बिक्री
केंद्र की ओर से पैरवी करते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को बताया कि सरकार पीएमसी बैंक खाताधारकों की चिंता का ख्याल रख रही है और गलत करने वालों की संपत्ति कुर्क करने के लिए प्रभावी कदम उठा रही है। उन्होंने कहा कि 88 अचल संपत्तियों को कुर्क किया जा चुका है।
यह भी पढ़ेंः- जियो को लेकर मुकेश अंबानी का बड़ा बयान, कहा अब हिंदी में भी होंगी सभी सेवाएं
अदालत दिल्ली के बेजोन कुमार मिश्रा द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिन्होंने कहा है कि आरबीआई के इस कदम से जमाकर्ताओं के लिए विनाशकारी परिणाम सामने आए हैं। याचिकाकर्ता ने यह भी आरोप लगाया कि केंद्र और आरबीआई ने पीएमसी बैंक के लगभग 15 लाख ग्राहकों की गाढ़ी कमाई की सुरक्षा की दिशा में कोई आपात कदम नहीं उठाया है।
यह भी पढ़ेंः- रिलायंस के नतीजों से पहले शेयर बाजार बढ़त के साथ बंद, 5 महीने बाद आया निफ्टी का शानदार सप्ताह
दलील में अदालत से अनुरोध किया गया कि आपात वित्तीय संकट की स्थिति में बैंकिंग और सहकारी जमा को सुरक्षित रखने के लिए एक व्यापक दिशानिर्देश जारी किया जाए, जहां आम लोग कुछ बेईमान व्यक्तियों के कृत्यों से आर्थिक रूप से फंसे हुए हैं, जिसका कई लोगों को व्यक्तिगत रूप से खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। उन्होंने पीएमसी बैंक में जमा राशि निकालने की आरबीआई द्वारा निर्धारित सीमा के नोटिफिकेशन को भी रद्द करने की मांग की है।