क्यों पलटा सरकार ने फैसला
सरकार ने छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज दरों में आधी फीसदी से लेकर एक फ़ीसदी तक की कटौती करने का निर्णय लिया था, जिससे पीपीएफ पर ब्याज दर 46 साल के निचले स्तर पर आ गया था। जिसकी वजह से आम लोगों में असंतोष फैलने का डर आ गया था। इसका एक कारण यह भी है कि छोटी बचत योजनाएं देश के मिडिल क्लास में काफी पॉपुलर हैं। जिसकी वजह सरकार को अपना फैसला देर रात बदलना पड़ा।
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46 साल के निचले स्तर पर आ गई थी दरें
सरकार ने ब्याज दरों में कटौती के फैसले से 46 साल में पहली बार ब्याज दर 7 फ़ीसदी से नीचे 6.4 फीसदी पर आ गया था। इसी तरह से राष्ट्रीय बचत प्रमाण पत्र पर भी ब्याज दर को 6.8 फीसदी से कम कर 5.9 फीसदी कर दिया गया था। इसके साथ ही सुकन्या समृद्धि योजना पर भी ब्याज दर को 7. 6 प्रतिशत से कम कर 6.9 प्रतिशत कर दिया गया था। वरिष्ठ नागरिकों की बचत योजनाओं पर भी ब्याज दरों को 7.4 प्रतिशत से घटाकर 6.5 प्रतिशत कर दिया गया था। किसान विकास पत्र पर भी ब्याज दर को 6.9 फीसदी से घटाकर 6.2 प्रतिशत कर दिया गया था। डाकघर बचत योजना पर ब्याज दर को चार प्रतिशत से कम कर 3.5 प्रतिशत कर दिया गया था।