सरकार ने यह व्यवस्था मई जून-जुलाई 2020 तक के लिए की थी इसका मतलब है कि अगस्त से एक बार फिर से ईपीएफ कॉन्ट्रिब्यूशन पहले की तरह 24 फ़ीसदी हो जाएगा जिसमें अब कंपनी और कर्मचारी दोनों को 12 -12 फ़ीसदी का कॉन्ट्रिब्यूशन करना पड़ेगा
क्या कहता है नियम -इपीएफ स्कीम के नियम के मुताबिक कर्मचारी हर महीने अपनी सैलरी से बेसिक वेज ऑडियंस अलाउंस का 12 फ़ीसदी ईपीएफ अकाउंट में डालता है और कर्मचारी के बराबर ही कंपनी की तरफ से भी कॉन्ट्रिब्यूशन किया जाता है इस तरह दोनों तरफ से मिलाकर ईपीएफ अकाउंट में हर महीने 24 फ़ीसदी की रकम जमा होती है ।
ध्यान देने वाली बात यह है किकंपनी एंप्लॉयड की तरफ से दिए जाने वाले 12 फ़ीसदी में से 3.67 फ़ीसदी हिस्सा ईपीएफ में जाता है जबकि बाकी 8.33 फ़ीसदी हिस्सा ईपीए सैनी कर्मचारी पेंशन स्कीम अकाउंट में जाता है ।
इसलिए घटाई गई थी रकम –सरकार ने कॉन्ट्रिब्यूशन को घटाकर 20 फ़ीसदी कर दिया गया था जिसे सीधे तौर पर दोनों पक्षों को लाभ हो रहा था इस कदम की वजह से कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के 4.3 करोड कर्मचारी और 6.5 लाख कंपनियों को फायदा पहुंचा है बाद में श्रम मंत्रालय ने साफ कर दिया था कि संस्थान और कर्मचारी चाहे तो 12 फ़ीसदी की दर से भी अपना कॉन्ट्रिब्यूशन जारी रख सकते हैं लेकिन ऐसा करना कोई जरूरी नहीं होगा यह पूरी तरह से कंपनी और कर्मचारियों का खुद का फैसला होगा