लेकिन सबमें एक बात समान है, वो यह कि जमा पूंजी पर रिटर्न तभी सफल मानेंगे जब बाजार के उतार-चढ़ाव के जोखिम से बचते हुए हाथ में अच्छा रिटर्न मिले। अन्यथा उस निवेश का क्या अर्थ कि हमेशा सांस अटकी हो कि कहीं पैसा बट्टे खाते में न चला जाए। इस भय से उबरते हुए अच्छी कमाई के लिए दो विकल्प हमेशा से अच्छे माने जाते रहे हैं। ये हैं फिक्स्ड डिपॉजिट और सेविंग अकाउंट।
फिक्स्ड डिपॉजिट या FD और सेविंक बैंक अकाउंट या SBI सुरक्षित निवेश की श्रेणी में आते हैं। इन दोनों साधनों में जमाकर्ता को निश्चित कमाई के साथ सुरक्षित प्रतिफल यानी कि रिटर्न मिलते हैं। अन्य निवेश की तुलना में माथापच्ची भी बेहद कम है। एक निवेशक के रूप में, ये दोनों साधन बैंक में बचत करने के लिए बेहतर हो सकता हैं। हालांकि, इसे सबसे कमाई वाला विकल्प नहीं मान सकते क्योंकि ये स्थिर निवेश के तौर पर माने जाते हैं जिनमें पैसा डालकर इंसान चैन से बैठ जाता है। लेकिन ऐसे निवेश आमतौर पर प्रभावशाली रिटर्न नहीं देते हैं। बचत खाते की ब्याज दरें 2.5% से 5.5% के बीच होती हैं। फायदा यह है कि जो थोड़ा-बहुत पैसा जोड़ते हैं, उस पर लगातार ब्याज जुड़ता रहता है।
दोनों के अपने अलग–अलग फायदे: अपनी कमाई में से बचत करना बहुत ही महत्वपूर्ण है। जैसे सभी दिन समान नहीं होते हैं, जीवन में उतार-चढ़ाव आते हैं और इसलिए आपको इमरजेंसी के लिए कुछ पैसे जरूर जुटाने चाहिए। हालांकि, केवल बचत ही पर्याप्त नहीं है बल्कि अच्छे रिटर्न वाले साधनों में समझदारी से निवेश करना महत्वपूर्ण है। समझदारी से निवेश करने से बचाए गए पैसे को बढ़ने में मदद मिलती है, प्रभावी रूप से पैसा आपके लिए काम करता है या लंबे समय में पूंजी देता है. यह आर्थिक रूप से सुरक्षित होता है। इस प्रकार, यदि आप एक सेविंग बैंक अकाउंट में बहुत अधिक पैसा रखते हैं, तो यह एक समझदारी का तरीका नहीं हो सकता है।
क्या है सेविंग अकाउंट और एफडी में अंतर: सेविंग अकाउंट में पैसे जमा करने की लिमिट नहीं होती, एफडी में अधिकतम पैसे का नियम बैंक अपने हिसाब से तय करते हैं। सेविंग अकाउंट की कोई निश्चित अवधि नहीं होती, जबकि FD दिन से 10 साल के लिए हो सकती है। सेविंग खाते पर ब्याज की दर निश्चित नहीं होती और बाजार पर निर्भर होती है, एफडी में निवेश की अवधि और जमाकर्ता की उम्र पर ब्याज दर तय होती है। एफडी में सीनियर सिटीजन को ज्यादा ब्याज मिलता है।
सेविंग अकाउंट में हर दिन ब्याज की गणना होती है, एफडी में तिमाही ब्याज की गणना होती है। सेविंग अकाउंट में विड्रॉल लिमिट मिनिमम बैलेंस पर निर्भर करता है, एफडी में मैच्योरिटी पर पैसे निकाल सकते हैं। उससे पहले पैसे निकालने पर जुर्माने का प्रावधान है। सेविंग अकाउंट पर लोन नहीं ले सकते, जबकि एफडी पर लोन मिलता है और एफडी की जमा राशि को ही बैंक सिक्योरिटी मानते हैं। सेविंग अकाउंट पर टैक्स छूट नहीं मिलती, जबकि एफडी में सेक्शन 80C के तहत टैक्स छूट का लाभ मिलता है।
एफडी के 5 बड़े फायदे: महंगाई आपकी गाढ़ी कमाई से कुछ खरीदने की शक्ति को नष्ट कर देती है। यानी पैसे का मोल कम और सामान के भाव ज्यादा लगते हैं। ऐसे में कमाई ऐसी होनी चाहिए जो महंगाई दर का मुकाबला कर सके। इस कारण से पैसे को निष्क्रिय रखने या सिर्फ एक बचत बैंक खाते में रखने से आपको ज्यादा लाभ नहीं हो सकता है। एफडी इस लाभ को बढ़ाती है। एक बैंक FD आपको उच्च ब्याज दर कमाने में सक्षम बनाती है जो आपको महंगाई के खिलाफ बेहतर रिटर्न प्राप्त करने में मदद कर सकती है।
बैंक FD पर रिटर्न निश्चित होता है – बाजार से जुड़े उतार-चढ़ाव और अन्य तरह का कोई जोखिम नहीं होता है। बिजनेस या स्वरोजगरा वाले लोगों के लिए एफडी ज्यादी सही होती है क्योंकि हाथ में एकमुश्त पैसे आए तो उसे जमा कर बेफिक्र हो सकते हैं. नौकरी वाले सेविंग अकाउंट में अच्छी कमाई कर सकते हैं। अगर आप बाजार के जोखिम से बचना चाहते हैं या रिस्क लेकर झटके में कमाई करने वालों में से नहीं हैं तो आपके लिए एफडी बेहतर साधन है। इसमें पैसे की सुरक्षा और रिटर्न की पूरी गारंटी मिलती है।
एफडी पर लोन की सुविधा बहुत अहम होती है। चूंकि आपको गिरवी रखने के लिए अलग से कुछ नहीं देना होता और आपकी एफडी की जमा राशि ही गिरवी के तौर पर काम करती है, इसलिए आसानी से लोन मिल जाता है। इसके लिए आपके क्रेडिट हिस्ट्री दिखाने की जरूरत नहीं पड़ती, यहां तक कि बैंक एफडी पर क्रेडिट कार्ड भी ले सकते हैं।