श्रावणी पूर्णिमा पर ऐसे करें महादेव का षोडशोपचार पूजन, सारी मनोकामना हो जायेगी पूरी
सावन मास के अंतिम दिन यानी पूर्णिमा, रक्षाबंधन पर्व को हर्षोउल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन श्रावणी अर्थात् उपाकर्म करने का मुख्य विधान भी है। श्रावणी उपाकर्म ( shravani upakarma ) विशुद्ध रूप से वैदिक कर्म है। इसके बिना रक्षाबंधन अधूरा एवं अपूर्ण ही माना जाता है। यह किसी पवित्र नदी, जलाशय या समुद्र तट पर सामूहिक रूप से विधिपूर्वक स्नान, पूजन, हवन इत्यादि करके यह पर्व संपन्न किया जाता है। इसी दिन यज्ञोपवीत बदलने का भी विधान है ।
सावन में हनुमान चालीसा के साथ कर लें ये उपाय, हो जायेगी हर मनोकामना पूरी
इस दिन जाने-अंजाने में हुई गलतियां के पापों से मुक्ति के लिए इन 10 चीजों से करे स्नान करें- मिट्टी, गाय का गोबर, गाय का दूध, गाय का घी, गाय का पंचगव्य, भस्म, अपामार्ग, कुशा+दूर्वा, शहद एवं गंगाजल आदि 10 पदार्थो से स्नान किया जाता है। आयुर्वेद में मृतिका, भस्म, गोमय, कुशा, दूर्वा आदि सभी स्वास्थ्यवर्द्धक एवं रोगनाशक मानी गई है।
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शास्त्रों में कहा गया है कि- इस स्नान से व्यक्ति की शारीरिक शुद्धि होती है और ऋषिपूजन, देवपूजन, द्वारा आध्यात्मिक शांति प्राप्त होती है। इस क्रम को करने के बाद नये यज्ञोपवित का पूजन कर पहना जाता है और पुराने को बदला जाता है। इसके बाद यज्ञ हवन करके सूर्य भगवान को अर्घ्य चढ़ाते हुए सुख शांति. धन वैभव की कामना की जाती है।
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