सावन में महादेव के इस रूप के ध्यान मात्र से शत्रुओं से मिल जाती मुक्ति
बाबा काल भैरव का जन्म
एक बार ब्रह्मा जी और विष्णु के विवाद के कारण महादेव के अत्यधिक क्रोधित हो गये और उनके क्रोध से एक अद्भुत शक्ति का जन्म हुआ जिसे कालभैरव कहा गया। जिस कालभैरव उत्पन्न हुए उस दिन कालाष्टमी तिथि थी। प्रत्येक माह के कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी का त्यौहार मनाया जाता है, इस दिन शिव जी के अंश कालभैरव की पूजा की जाती है जो भगवान शंकर के अंश अवतार माने जाते हैं।
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सावन मास की कालाष्टमी तिथि की रात को शिव पुराण में दिये इस मंत्र का जप रुद्राक्ष की माला से 108 बार कंबल के आसन पर बैठकर करना चाहिए। इस मंत्र का जप करने से हर मनोकामना हो जाती है पूरी।
।। ऊँ अतिक्रूर महाकाय कल्पान्त दहनोपम्।
भैरव नमस्तुभ्यं अनुज्ञा दातुमर्हसि।।
सावन मास की कालाष्टमी के दिन ऐसे करें पूजन
नारद पुराण में कहा गया है कि कालाष्टमी के दिन कालभैरव और मां दुर्गा की पूजा करने वाले के जीवन के सभी कष्ट दूर होकर हर मनोकामना पूरी हो जाती है। इस रात को देवी महाकाली एवं भगवान काल भैरव की विधिवत पूजा करने के बाद बीज मंत्रों का जप किया जाएं तो जीवन की सभी समस्याओं का अंत होने लगता है। पूजा करने से पहले माता पार्वती और भगवान शिव की कथा पढ़ना या सुनना चाहिए। इस दिन व्रती को फलाहार ही करना चाहिए। इस दिन कुत्ते को कुछ न कुछ अवश्य खिलाना चाहिए।
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