आचार्य पाण्डेय के अनुसार भद्राकाल 30 अगस्त को रात 9.02 बजे तक भद्राकाल है। इसलिए इस समय के बाद ही रक्षाबंधन मनाना ठीक रहेगा। वैसे रक्षाबंधन का पर्व दोपहर को मनाना ठीक रहता है। लेकिन शास्त्रों का कहना है कि दोपहर में भद्राकाल रहे तो प्रदोषकाल में रक्षाबंधन मनाना चाहिए। इसलिए इस समय के बाद राखी का पर्व मनाया जा सकता है। इसके अलावा पूर्णिमा 31 अगस्त को सुबह 7.05 बजे तक है, इसलिए 30 अगस्त रात और 31 अगस्त सुबह, दोनों दिन रक्षाबंधन का पर्व मनाया जा सकेगा।
रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त
आचार्य के अनुसार रक्षाबंधन 30 अगस्त को रात 9.02 बजे से शुरू होगा और यह अगले दिन 31 अगस्त सूर्योदय को 7.05 बजे तक मनाया जा सकेगा। ये भी पढ़ेंः Rakshabandhan 2023: श्रीकृष्ण ने कैसे निभाया भाई का फर्ज, पांच कहानियों से जानें रक्षाबंधन का महत्व और परंपरा
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ऐसे मनाएं रक्षाबंधन, ये पढ़ें मंत्र
वैसे तो रक्षाबंधन हर घर में सदियों से मनाया जा रहा है, लेकिन आचार्य पाण्डेय का कहना है कि भाई को राखी बांधने से पहले भाई बहन को कुछ खाना नहीं चाहिए और रक्षाबंधन के लिए एक थाली में रोली, अक्षत, दीया, कुमकुम और मिठाई रखें। भाई का तिलक करें और फिर दायें हाथ में राखी बांधें। इसके बाद उसकी आरती उतारें। रक्षाबंधन के समय बहन को
ऐसे मनाएं रक्षाबंधन, ये पढ़ें मंत्र
वैसे तो रक्षाबंधन हर घर में सदियों से मनाया जा रहा है, लेकिन आचार्य पाण्डेय का कहना है कि भाई को राखी बांधने से पहले भाई बहन को कुछ खाना नहीं चाहिए और रक्षाबंधन के लिए एक थाली में रोली, अक्षत, दीया, कुमकुम और मिठाई रखें। भाई का तिलक करें और फिर दायें हाथ में राखी बांधें। इसके बाद उसकी आरती उतारें। रक्षाबंधन के समय बहन को
येन बद्धो बलि राजा, दानवेंद्रो महाबलः, तेन त्वाम् प्रतिबद्धनाम्, रक्षे माचल माचलः मंत्र का जाप भी करना चाहिए। साथ ही भाई से रक्षा का वचन लेना चाहिए। ये भी पढ़ेंः Rakshabandhan Special: रक्षाबंधन पर क्यों बदला जाता है जनेऊ, जानिए इसका रहस्य और पहनने का मंत्र