सप्ताह में भगवान शिव का दिन सोमवार माना गया है। वहीं साल में आने वाले करीब 24 प्रदोष Pradosh Vrat व 12 मासिक शिवरात्रि का दिन भी इनकी पूजा के लिए अत्यंत विशेष माना गया है। ऐसे में इस बार 9 फरवरी को प्रदोष (भौम प्रदोष व्रत (कृष्ण)) पड़ रहा है।
मंगलवार को पड़ रहे इस प्रदोष Pradosh को भौमप्रदोष Pradosh Vrat 2021 के नाम से जाना जाता है। यूं तो सोमवार का दिन भगवान शिव शंकर को समर्पित है और इस दिन महादेव जी की पूरे विधि-विधान से पूजा की जाती है। वहीं इस बार मंगलवार के दिन प्रदोष व्रत Pradosh Vrat 2021 होने के कारण शिव भक्त दो दिन अपने आराध्यदेव की पूजा का लाभ उठा सकेंगे। और वहीं मंगलवार के दिन भौम प्रदोष व्रत Pradosh Vrat 2021 होने के साथ ही भक्तों को हनुमान जी की कृपा भी भगवान शिव के साथ में अनायास ही प्राप्त होगी।
इस व्रत को उत्तर भारत में प्रदोष व्रत Pradosh Vrat और दक्षिण भारत में प्रदोषम के नाम से जाना जाता है। व्रत में भगवान शिव Lord shiv की स्तुति की जाती है। मान्यताओं कि माने तो शुक्रवार को पड़ने वाला प्रदोष व्रत Pradosh Vrat अधिक फलदायी होता है।
भौम प्रदोष व्रत: Pradosh Vrat 2021
माना जाता है कि इस दिन व्रत करने से और भगवान शिव को पूजने से भक्तों के सभी पाप धुल जाते हैं। हर महीने की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत Pradosh Vrat 2021 रखा जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार जिस बार ये व्रत मंगलवार के दिन पड़ता है तो इसे भौम प्रदोष व्रत Pradosh Vrat 2021 कहते हैं। फरवरी माह में ये व्रत 9 तारीख को रखा जाएगा।
भौम प्रदोष व्रत 2021 का शुभ समय… Pradosh Vrat 2021 shubh muhurat
– भौम प्रदोष व्रत Pradosh Vrat 2021 तिथि 2021 : 09 फरवरी 2021
– प्रदोष काल Pradosh Vrat 2021 में पूजा का शुभ मुहूर्त- 9 फरवरी 2021 को संध्याकाल में 06 बजकर 03 मिनट से आरंभ होकर रात्रि 08 बजकर 40 मिनट तक
– माघ मास कृष्ण त्रयोदशी आरंभ- 9 फरवरी 2021 दिन मंगलवार प्रात: 03 बजकर 19 मिनट से
– कृष्ण त्रयोदशी समाप्त- 10 फरवरी 2021 बुधवार प्रात: 02 बजकर 05 मिनट पर
Pradosh Vrat 2021 : भौम प्रदोष व्रत का फल…
भौम प्रदोष Pradosh Vrat 2021 के दिन व्रत रखने से हर तरह के रोगों से मुक्ति मिलती है और स्वास्थ सम्बन्धी समस्याएं नहीं होती। बुधवार के दिन इस व्रत को करने से हर तरह की कामना सिद्ध होती है।
इसके अलावा यदि आप कर्ज से छुटकारा पाना चाहते हैं तो इसके लिए भौम प्रदोष व्रत Pradosh Vrat 2021 के दिन शाम के समय हनुमान जी के समक्ष हनुमान चालीसा का पाठ करें। कर्ज मुक्ति के लिए यह बहुत लाभदायी सिद्ध होता है। चालीसा पाठ करने के बाद हनुमान जी को बूंदी के लड्डू का भोग लगाएं और फिर प्रसाद बांटें।
इस समय कर्ज मुक्ति के लिए भौम प्रदोष को रात्रि के समय हनुमान जी Hanuman ji के समक्ष घी का नौ बातियों वाला दीपक जलाकर उनसे कर्ज मुक्ति की प्रार्थना करें। मान्यता है कि हनुमान जी की कृपा से जल्द ही कर्ज से मुक्ति मिलती है। इसके अलावा कर्ज से छुटकारा पाने के लिए भौम प्रदोष तिथि पर मंगलदेव के 21 या 108 नामों का जाप करना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से बहुत ही जल्दी कर्ज से छुटकारा मिलता है।
बिना बेलपत्र अधूरी है भगवान शिव की पूजा: Lord shiv Puja
भगवान शिव Lord shiv को प्रसन्न करने के लिए भांग, धतूरा और बेलपत्र चढ़ाते हैं। मान्यता के अनुसार शिवलिंग पर बेलपत्र अर्पित करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और बिना बेलपत्र के उनकी पूजा अधूरी मानी जाती है। तो आइए जानते हैं बेलपत्र के महत्व के बारे में और भगवान शिव को बेलपत्र क्यों प्रिय हैं…
बेलपत्र का महत्व
बेल की पत्तियों को बेलपत्र कहते हैं। बेलपत्र में तीन पत्तियां एक साथ जुड़ी होती हैं, लेकिन इसे एक पत्ती गिना जाता है। बेलपत्र चढ़ाने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं। माना जाता है कि भगवान भोलेनाथ को इसे चढ़ाने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है। बिना बेलपत्र चढ़ाएं भगवान शिव की पूजा अधूरी मानी जाती हैं।
प्रदोष व्रत : Pradosh Vrat
मुख्य रूप से यह व्रत शिव व शक्ति को समर्पित है। यह व्रत शुक्ल व कृष्ण पक्ष के त्रयोदशी तिथि पर पड़ता है। वर्ष में कुल 24 प्रदोष व्रत पड़ते हैं। प्रत्येक वार के हिसाब से प्रदोष व्रत है। सात वारों के लिए सात व्रत हैं। प्रदोष व्रत की मान्यता और इसका फल वार के अनुसार बदल जाता है।
महत्व : प्रदोष व्रत Pradosh Vrat में महादेव व माता पार्वती की उपासना की जाती है। व्रत के महत्व के बारे में विस्तार से स्कंद पुराण में वर्णन किया गया है। साधक प्रदोष व्रत का पालन अपने जीवन में हर तरह के सुख की प्राप्ति के लिए करता है। इस व्रत को स्त्री तथा पुरूष दोनों कर सकते हैं। माना जाता है कि इस व्रत को करने से साधक पर भगवान शिव की कृपा दृष्टि बनती है। साधक अपने पाप कर्मों से मुक्त हो जाता है।
प्रदोष व्रत पूजा विधि : Pradosh Vrat Puja vidhi
प्रदोष व्रत Pradosh Vrat pujan पूजन हेतु सबसे उपयुक्त समय प्रदोष काल है। पूजन से पूर्व साधक स्नान कर सफेद रंग का स्वच्छ वस्त्र धारण कर लें। इसके बाद भगवान शिव के मंदिर जाएं। मंदिर नहीं जा सकते हैं तो यह पूजन साधक घर पर भी कर सकते हैं। अब आप शिव जी का अभिषेक करें और उन्हें बेल पत्र चढ़ाएं। इसके बाद अगरबत्ती व धूप से पूजा कर ओम नमः शिवाय का जाप करें। जाप पूर्ण होने के बाद साधक प्रदोष व्रत कथा का श्रवण या पाठ करें। इसके संपन्न होने के बाद आरती कर प्रसाद को लोगों में बांट दें। फिर फलाहार कर अगले दिन शिव की विधिवत पूजा कर व्रत को खोलें।
बेलपत्र चढ़ाते समय इन बातों का रखें ध्यान…
: बेलपत्र में एक साथ तीन पत्तियां जुड़ी होनी चाहिए, अगर बेलपत्र में दो या एक पत्ती है तो उसे बेलपत्र नहीं माना जाता है।
: पत्तियां कहीं से टूटी – कटी नहीं होनी चाहिए, किसी भी पत्ते में छेद नहीं होना चाहिए।
: भगवान को चिकनी तरफ से बेलपत्र चढ़ाएं और जल की धारा जरूर चढ़ाएं।
: बिना जल के बेलपत्र अर्पित नहीं करना चाहिए।
बेलपत्र चढ़ाने से बन जाते हैं बिगड़े काम…
: कहा जाता है कि कई बार बिगड़ते काम को बनाने के लिए भगवान शिव को बेलपत्र चढ़ाने से सभी परेशानियां ठीक हो जाती है।
: कई बार न चाहते हुए शादी में परेशानी होने लगती है, इसके पीछे कई भी कारण हो सकते हैं। ऐसे में माना जाता है कि यदि आप बेलपत्र का उपयोग कर इस परेशानी से छुटकारा पा सकते हैं।
बेलपत्र का इस्तेमाल करता है समय पर विवाह…
इसके लिए आपको 108 बेलपत्रों पर चंदन से राम लिखना होगा। इसके अलावा आप शिवलिंग पर ऊं नम: शिवाय कहते हुए बेलपत्र चढ़ाएं।
वहीं यदि आप किसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं तो 108 बेलपत्रों को चंदन के इत्र में डूबाते हुए शिवलिंग पर चढ़ाएं। आप इसके मंत्र जाप कर स्वस्थ होने की प्रार्थना करें। माना जाता है कि ऐसा करने से आरोग्यता प्राप्त होती है।
Lord Shiv Puja / Aarti : भगवान शिव की पूजा / आरती
दोहा :
श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।
कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान॥
शिव चालीसा (Shiva Chalisa) :
जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥
भाल चन्द्रमा सोहत नीके। कानन कुण्डल नागफनी के॥
अंग गौर शिर गंग बहाये। मुण्डमाल तन छार लगाये॥
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे। छवि को देख नाग मुनि मोहे॥
मैना मातु की ह्वै दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥
नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥
कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ॥
देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥
किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥
तुरत षडानन आप पठायउ। लवनिमेष महँ मारि गिरायउ॥
आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा॥
त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥
किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तसु पुरारी॥
दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥
वेद नाम महिमा तव गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥
प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला। जरे सुरासुर भये विहाला॥
कीन्ह दया तहँ करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥
पूजन रामचंद्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥
सहस कमल में हो रहे धारी। कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥
एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई॥
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर। भये प्रसन्न दिए इच्छित वर॥
जय जय जय अनंत अविनाशी। करत कृपा सब के घटवासी॥
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै । भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै॥
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। यहि अवसर मोहि आन उबारो॥
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो। संकट से मोहि आन उबारो॥
मातु पिता भ्राता सब कोई। संकट में पूछत नहिं कोई॥
स्वामी एक है आस तुम्हारी। आय हरहु अब संकट भारी॥
धन निर्धन को देत सदाहीं। जो कोई जांचे वो फल पाहीं॥
अस्तुति केहि विधि करौं तुम्हारी। क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥
शंकर हो संकट के नाशन। मंगल कारण विघ्न विनाशन॥
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं। नारद शारद शीश नवावैं॥
नमो नमो जय नमो शिवाय। सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥
जो यह पाठ करे मन लाई। ता पार होत है शम्भु सहाई॥
ॠनिया जो कोई हो अधिकारी। पाठ करे सो पावन हारी॥
पुत्र हीन कर इच्छा कोई। निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥
पण्डित त्रयोदशी को लावे। ध्यान पूर्वक होम करावे ॥
त्रयोदशी ब्रत करे हमेशा। तन नहीं ताके रहे कलेशा॥
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥
जन्म जन्म के पाप नसावे। अन्तवास शिवपुर में पावे॥
कहे अयोध्या आस तुम्हारी। जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥
दोहा
नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा।
तुम मेरी मनोकामना, पूर्ण करो जगदीश॥
मगसर छठि हेमन्त ॠतु, संवत चौसठ जान।
अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण॥