दान-पुण्य का महत्व
शास्त्रों में बताया गया है कि अक्षय तृतीया के दिन ही महर्षि वेदव्यास ने महाभारत लिखना शुरू किया था तथा युधिष्ठिर को अक्षय पात्र भी आज ही के दिन मिला था। मान्यताओं के मुताबिक इस पात्र का भोजन कभी समाप्त नहीं होता । यह मान्यता भी है कि इस दिन किया जाने वाला दान-पुण्य कभी क्षय नहीं होता वहीं आज के दिन किया गया जप तप भी नाश नहीं होता।
कौन है भगवान परशुराम
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान विष्णु ने अपने छठे अवतार के रूप में इस दिन ऋषि जमदग्नि और माता रेणुका के यहां जन्म लिया था। परशुराम का नाम राम था किन्तु परशुराम भगवान शिव को अपनी कठोर तपस्या से प्रसन्न किया जिससे उन्हें वरदान में अस्त्र के रूप में अपना फरसा दिया जिसके बाद वे भगवान परशुराम कहलाए। पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान परशुराम ने क्षत्रियों का दंभ चूर करने के लिये 21 बार उनका संहार किया। भगवान शिव से नहीं मिलने देने पर क्रोधित होकर परशुराम ने गणेश जी का दांत तोड़ दिया था जिसके बाद गणेश जी एकदंत कहलाए।