करवा चौथ के पूजन में इन सामग्री का प्रयोग करना चाहिए-
1- माता पार्वती, शिवजी एवं गणेश जी की एक संयुक्त फोटो, कच्चा दूध, कुमकुम।
2- अगरबत्ती, शक्कर, शहद, पुष्प, शद्ध घी, दही, मेहंदी, मिठाई, गंगा जल।
3- चंदन, चावल, सिंदूर, महावर, कंघा, मेहंदी, चुनरी, बिंदी, बिछुआ, चूड़ी।
4- मिट्टी का टोंटीदार करवा और ढक्कन, दीपक और बाती के लिए रूई।
5- गेंहू, शक्कर का बूरा, पानी का लोटा, गौरी बनाने के लिए पीली मिट्टी।
6- लकड़ी का आसन, छन्नी, आठ पूरियों की अठवारी।
7- हलवा और दक्षिणा के लिए कुछ पैसे।
करवा चौथ पूजन का शुभ मुहूर्त
1- करवा चौथ 17 अक्टूबर 2019 दिन गुरुवार, इस दिन चांद के दर्शन 8 बजकर 30 मिनट पर होंगे।
2- करवा माता की विधिवत पूजा व्रती महिलाएं सूर्यास्त के समय 6 बजकर 16 मिनट से रात 8 बजकर 37 मिनट के बीच कर सकती है।
3- करवा माता की पूजा में जो दीपक जलावें उसे चांद के दिखाई देने तक प्रज्वलित ही रखें।
4- चांद के दर्शन होने पर चांद और अपने पति का पूजन करने के बाद अपने पति से जल ग्रहण कर अपना व्रत खोले।
करवा माता की संपूर्ण पूजा विधि-
1- करवा चौथ के दिन पूजा स्थल में बैठकर दाहिने हाथ में थोड़ा जल एवं चावल लेकर व्रत करने का संकल्प लें।
2- संकल्प लेते समय इस मंत्र का उच्चारण करें- मंत्र- मम सुखसौभाग्य पुत्रपौत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये कर्क चतुर्थी व्रतमहं करिष्ये।
3- घर के मंदिर की दीवार पर गेरू से फलक बनाएं और चावल को पीसकर उससे करवा का चित्र बनाएं। इस रीति को करवा धरना कहा जाता है।
4- शाम के समय मां पार्वती और भगवान शिव की पूजा के लिए ऐसी फोटो को रखे जिसमें श्रीगणेश माता पार्वती की गोद में बैठे हो, भगवान के आसन के लिए लकड़ी से बना आसन ही सर्वोत्म माना गया है।
5- माता पार्वती को श्रृंगार की सभी सामग्री चढ़ाएं या फिर उनका श्रृंगार करें।
6- अब मां पार्वती, श्रीगणेश एवं भगवान शिवजी का भी पूजन करें।
7- शाम या रात्रि में चंद्रोदय के बाद चांद की पूजा कर अर्घ्य दें।
8- सुहागिन महिलाएं अपने पति के हाथ से पानी पीकर या निवाला खाकर अपना व्रत खोलें।
9- पूजन समाप्त होने के बाद अपने सास ससूर और घर के बड़ों का आर्शीवाद पैर छुकर जरूर लें।
10- संभव हो तो एक कोरे करवा में जल भरकर करवा चौथ की व्रत कथा का पाठ या श्रवण अवश्य करें।
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