व्रत पूजन सामग्री
गणेश जी की प्रतिमा, धूप – दीप, नैवेद्य (मोदक तथा अन्य ऋतुफल), अक्षत – फूल, कलश, चंदन, केसरिया, रोली, कपूर, दुर्वा, पंचमेवा, गंगाजल, वस्त्र गणेश जी के लिये, अक्षत, घी, पान, सुपारी, लौंग, इलायची, गुड़, पंचामृत (कच्चा दूध, दही, शहद, शर्करा, घी) आदि।
ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष संकष्टी चतुर्थी- पूजा विधि
प्रात: काल उठकर नित्य कर्म से निवृत हो स्नान कर, शुद्ध होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। श्री गणेश जी का पूजन पंचोपचार (धूप, दीप, नैवेद्य, अक्षत, फूल) विधि से करने के बाद, हाथ में जल तथा दूर्वा लेकर मन-ही-मन श्री गणेश का ध्यान करते हुये नीचे दिये गये गणेश मंत्र का उच्चारण करते हुए व्रत का संकल्प करें।
मंत्र
।। “मम सर्वकर्मसिद्धये सिद्धिविनायक पूजनमहं करिष्ये” ।।
OMG! इस मंदिर की मूर्तियां करती एक दूसरे बातचीत, जानें अद्भुत रहस्यसंकल्प लेने के बाद तांबे के कलश में थोड़ा सा गंगाजल जालकर उसमें शुद्ध जल भी मिलायें। कलश में दूर्वा, एक सिक्का, हल्दी गठान व सुपारी रखने के बाद लाल कपड़े से कलश का मुख बांध दें। अब कलश के ऊपर गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करें। पूरे दिन या तीन पहर तक श्री गणेशजी का ध्यान और गणेश पंचाक्षरी मंत्र का जप करते रहे।
पूजा के लिए एक सुबह एवं एक स्नान प्रदोष काल सूर्यास्त के समय लें। स्नान के बाद श्री गणेश जी के सामने सभी पूजन सामग्री लेकर बैठ जाएं। विधि-विधान से गणेश जी का पूजन करें। वस्त्र अर्पित करें, नैवेद्य के रूप में मोदक अर्पित करें, चंद्रमा के उदय होने पर चंद्रमा की पूजा कर अर्घ्य अर्पण करें, उसके बाद गणेश चतुर्थी की कथा सुने अथवा सुनाएं। बाद में गणेश जी की आरती कर सभी को मोदक का प्रसाद बांटे एवं भोजन के रूप में केवल मोदक हीं ग्रहण करें।
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