scriptदेवर्षि नारद जयंती 20 : जन कल्याणार्थ रहते हैं हर पल क्रियाशील, देवर्षि नारद का ऐसा है वास्तविक स्वरूप | Devrishi Narad Jayanti : 8 may 2020 | Patrika News
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देवर्षि नारद जयंती 20 : जन कल्याणार्थ रहते हैं हर पल क्रियाशील, देवर्षि नारद का ऐसा है वास्तविक स्वरूप

नारद दुनिया के प्रथम पत्रकार माने जाते हैं देवर्षि नारद

May 07, 2020 / 02:43 pm

Shyam

देवर्षि नारद जयंती 20 : जन कल्याणार्थ रहते हैं हर पल क्रियाशील, देवर्षि नारद का ऐसा है वास्तविक स्वरूप

देवर्षि नारद जयंती 20 : जन कल्याणार्थ रहते हैं हर पल क्रियाशील, देवर्षि नारद का ऐसा है वास्तविक स्वरूप

शुक्रवार 8 मई 2020 भगवान श्री नारायण के अन्नय भक्त देवर्षि नारद जी की जयंती है। शास्त्रों में नारद जी को भगवान का मन कहा गया है वें धर्म के प्रचार तथा लोक-कल्याण हेतु सदैव प्रयत्नशील रहते हैं। कहा जाता है कि देवर्षि नारद का सभी युगों में, सभी लोकों में, समस्त विद्याओं में, समाज के सभी वर्गो में महत्त्वपूर्ण स्थान रहा है। मात्र देवताओं ने ही नहीं, वरन् दानवों ने भी उनका सदैव आदर ही किया है। समय-समय पर सभी ने उनसे परामर्श लिया है।

देवर्षि नारद जयंती 20 : जन कल्याणार्थ रहते हैं हर पल क्रियाशील, देवर्षि नारद का ऐसा है वास्तविक स्वरूप

नारद दुनिया के प्रथम पत्रकार देवर्षि नारद

श्रीमद्भगवद्गीता के दशम अध्याय के 26वें श्लोक में स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने नारद जी की महत्ता को स्वीकार करते हुए कहा है- देवर्षीणाम् च नारद:। देवर्षियों में मैं नारद हूं। देवर्षि नारद दुनिया के प्रथम पत्रकार या पहले संवाददाता हैं, क्योंकि देवर्षि नारद ने इस लोक से उस लोक में परिक्रमा करते हुए संवादों के आदान-प्रदान द्वारा पत्रकारिता का प्रारंभ किया। इस प्रकार देवर्षि नारद पत्रकारिता के प्रथम पुरुष/पुरोधा पुरुष/पितृ पुरुष हैं। जो इधर से उधर घूमते हैं तो संवाद का सेतु ही बनाते हैं। जब सेतु बनाया जाता है तो दो बिंदुओं या दो सिरों को मिलाने का कार्य किया जाता है। दरअसल देवर्षि नारद भी इधर और उधर के दो बिंदुओं के बीच संवाद का सेतु स्थापित करने के लिए संवाददाता का कार्य करते हैं।

देवर्षि नारद जयंती 20 : जन कल्याणार्थ रहते हैं हर पल क्रियाशील, देवर्षि नारद का ऐसा है वास्तविक स्वरूप

नारद जी इधर से उधर चारों दिशाओं में घूमकर सीधे संवाद करते हैं और सीधे संवाद भेजते हैं, इसलिए नारद जी सतत सजग-सक्रिय रहते हुए ‘स्पॉट-रिपोर्टिंग’ करते हैं जिसमें जीवंतता है। देवर्षि नारद इधर-उधर घूमते हुए जहां भी पाखंड देखते हैं उसे खंड-खंड करने के लिए ही तो लोकमंगल की दृष्टि से संवाद करते हैं।

देवर्षि नारद जयंती 20 : जन कल्याणार्थ रहते हैं हर पल क्रियाशील, देवर्षि नारद का ऐसा है वास्तविक स्वरूप

त्रेतायुग के रामावतार से लेकर द्वापर युग के कृष्णावतार तक नारद की पत्रकारिता लोकमंगल की ही पत्रकारिता और लोकहित का ही संवाद-संकलन है। उनके ‘इधर-उधर’ संवाद करने से जब राम का रावण से या कृष्ण का कंस से दंगल होता है तभी तो लोक का मंगल होता है। इसलिए तो देवर्षि नारद दिव्य पत्रकार के रूप में लोकमंडल के संवाददाता माने जाते हैं।

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