दिवाली महापर्व महालक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त
रविवार 27 अक्टूबर 2019 – पूजन का शुभ मुहूर्त,
स्थिर लग्न
1- वृश्चिक- प्रातः 8 बजकर 1 मिनट से 10 बजकर 17 मिनट तक।
2- कुंभ- दिन में 2 बजकर 9 मिनट से 3 बजकर 42 मिनट तक।
3- वृषभ- सायंकाल 6 बजकर 53 मिनट से रात्रि 8 बजकर 52 मिनट तक।
शुभ मुहूर्त दिन में
1- चर- प्रातः 7 बजकर 55 मिनट से 9 बजकर 20 मिनट तकष
2- लाभ- प्रातः 9 बजकर 20 मिनट से 10 बजकर 46 मिनट तक।
3- अमृत- दिन में 10 बजकर 46 मिनट से 12 बजकर 11 मिनट तक।
4- शुभ- दिन में 1 बजकर 36 मिनट से 3 बजकर 1 मिनट तक।
शुभ मुहूर्त रात्रि में
1- शुभ- सायंकाल 5 बजकर 51 मिनट से 7 बजकर 26 मिनट तक।
2- अमृत- रात्रि 7 बजकर 26 मिनट से 9 बजकर 1 मिनट तक।
3- चल- रात्रि 9 बजकर 1 मिनट से 10 बजकर 36 मिनट तक।
इस समय दीपक जलावें
– प्रदोष काल- सायंकाल 5 बजकर 43 मिनट से रात्रि 8 बजकर 7 मिनट तक।
– गोधूलि बेला- सायंकाल 5 बजकर 32 मिनट से 5 बजकर 56 मिनट तक।
– अभिजित मुहूर्त- दिन में 11 बजकर 41 मिनट से 12 बजकर 29 मिनट तक।
निशीथकालीन पूजन
1- रात्रि 11 बजकर 39 मिनट से 12 बजकर 30 मिनट के बीच करें।
2- इस बीच सिद्धि कुंजिका स्त्रोत. दत्तात्रेय वज्र कवच, शिव अमोघ कवच, या हनुमान बाहूक आदि का पाठ करना चाहिए।
3- पूजन के बाद हल्दी, कामया सिंदूर और गाय का घी मिश्रित घोल से मुख्य द्वार, आलमारी, तिजोरी आदि पर शुभता का प्रतीक स्वास्तिक का चिन्ह बनायें।
4- मकान दुकान आदि के मुख्य द्वार पर पूजा की हुई लोहे की कील ठोक दे।
5- लाल कपड़ें में बनाई गई कुबेर की पोटली को स्वास्तिक बनाकर धन रखने के स्थान पर स्थापित करें।
6- सभी कार्यों की सफलता के लिए लाल कपड़े में गोमती चक्र सिक्के के साथ घर एवं व्यापार स्थल दुकान आदि के भीतरी तरफ मुख्य प्रवेश द्वार पर बांध दे।
अति विशिष्ठ महालक्ष्मी के भ्रमणकाल का शुभ मुहूर्त
1- रात्रि 1 बजकर 55 मिनट से 2 बजकर 15 मिनट के बीच मुख्य प्रवेश द्वार के दोनों ओऱ गाय के घी के दीपक जलायें।
2- मंगल ध्वनी करें, शंख, गरूड़ घंटी बजायें और श्री सुक्त, ललिता सहत्रनाम, कनक धारा स्त्रोत, लक्ष्मी चालीसा आदि का श्रद्धा पूर्वक पाठ करें।
3- ऊँ श्रीं श्रियै नमः मंत्र का पाठ करें।
4- उपरोक्त विधि से माता लक्ष्मी का पूजन करने पर माता प्रसन्न हो जाती हैं ।
5- बेल वृक्ष या पीपल पेड़ के नीचे गाय के घी का दीपक अवश्य जलायें।
6- दीपक जलाने के बाद वहीं बैठकर श्री सुक्त का पाठ अवश्य करें।
7- मेवा मिष्ठान का चुरमा बनाकर भोग लगायें, एवं वृक्ष की जड़ों में चीटियों के लिए बिखरा दें।
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