नवरात्रि: मां दुर्गा की पूजा…
नवरात्रि में देवी के नौ रूपों Chaitra Navratri 2020 की पूजा की जाती है। देशभर में यह त्यौहार अलग-अलग ढंग से मनाते हैं, लेकिन एक चीज़ जो हर जगह सामान्य होती है वो है मां दुर्गा की पूजा। हर व्यक्ति नवरात्र के समय में माता को प्रसन्न करने के लिए पूरी श्रद्धा से पूजा-अर्चना करता है और अपने सभी दुखों को दूर कर देने की प्रार्थना करता है।
माता दुर्गा : मां दुर्गा को भगवान शिव की पटरानी कहा जाता है।
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नवरात्रि : ऐसे मिलता है आशीर्वाद…
नवरात्रि पर हर कोई देवी Chaitra Navratri 2020 मां को प्रसन्न तो करना चाहता है, लेकिन कई बार इसके संबंध में जानकारी का अभाव भक्तों के लिए परेशानी का कारण बन जाता है। मां Chaitra Navratri 2020 को प्रसन्न करने के लिए नवरात्रि के दौरान लोग 9 दिनों तक व्रत भी रखते हैं, लेकिन माता में इतनी अधिक आस्था के बावजूद, अभी भी कई भक्तों के लिए नवरात्रि Chaitra Navratri 2020 और मां दुर्गा के विषय में बहुत सी बातें रहस्य बनी हुईं हैं।
पंडित सुनील शर्मा का कहना है कि देवी पुराण Chaitra Navratri 2020 के अनुसार एक साल में कुल चार नवरात्र होते हैं- दो प्रत्यक्ष(चैत्र और आश्विन) और दो गुप्त(आषाढ़ और माघ)। साल के पहले माह चैत्र में पहली नवरात्रि, साल के चौथे माह यानि आषाढ़ में दूसरी नवरात्रि, अश्विन माह में तीसरी नवरात्रि और ग्यारहवें महीने में चौथी नवरात्रि मनाते हैं।
नवरात्रि | – 2020 | – 2021 | – 2022 |
चैत्र नवरात्रि | – बुधवार, 25 मार्च 2020 | – मंगलवार, 13 अप्रैल 2021 | – शनिवार, 2 अप्रैल 2022 |
शारदीय नवरात्रि | – शनिवार, 17 अक्टूबर 2020 | – गुरुवार, 7 अक्टूबर 2021 | – सोमवार, 26 सितंबर 2022 |
साल में आने वाले सभी Chaitra Navratri 2020 नवरात्रि ऋतुओं के संधि काल में होते हैं। चैत्र नवरात्रि के दौरान मौसम बदलता है और गर्मियों की शुरुआत हो जाती है। ऐसे में बीमारी आदि होने का सबसे ज़्यादा खतरा रहता है। नवरात्रि Chaitra Navratri 2020 का व्रत रखने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, मानसिक शक्ति प्राप्त होती है और शरीर एवं विचारों की भी शुद्धि होती है।
पुराणों के अनुसार कलश को भगवान विष्णु का रुप माना गया है, इसलिए लोग मां दुर्गा की पूजा Chaitra Navratri 2020 से पहले कलश स्थापित कर उसकी पूजा करते हैं।
Chaitra Navratri 2020 नवरात्रि के पहले दिन शुभ मुहूर्त, सही समय और सही तरीके से ही घटस्थापना करनी चाहिए। पूजा स्थल पर मिट्टी की वेदी बनाकर या मिट्टी के बड़े पात्र में जौ या गेहूं बोएं। अब एक और कलश या मिट्टी का पात्र लें और उसकी गर्दन पर मौली बांधकर उसपर तिलक लगाएं और उसमें जल भर दें।
दिन | देवी मां |
प्रतिपदा | – शैलपुत्री |
द्वितीया | – ब्रह्मचारिणी |
तृतीया | – चंद्रघंटा |
चतुर्थी | – कूष्मांडा |
पंचमी | – स्कंदमाता |
षष्ठी | – कात्यायनी |
सप्तमी | – कालरात्रि |
अष्टमी | – महागौरी |
नवमी | – सिद्धिदात्री |
कुमकुम या बिंदी,सिंदूर,काजल,मेहंदी,गजरा,लाल रंग का जोड़ा,मांग टीका,नथ,कान के झुमके,मंगल सूत्र,बाजूबंद,चूड़ियां,अंगूठी,कमरबंद,बिछुआ,पायल
1. | शैलपुत्री | पहाड़ों की पुत्री |
2. | ब्रह्मचारिणी | – ब्रह्मचारीणी |
3. | चंद्रघंटा | – चांद की तरह चमकने वाली |
4. | कूष्माण्डा | – पूरा जगत में फैले पैर |
5. | स्कंदमाता | – कार्तिक स्वामी की माता |
6. | कात्यायनी | – कात्यायन आश्रम में जन्मी |
7. | कालरात्रि | – काल का नाश करने वाली |
8. | महागौरी | – सफेद रंग वाली मां |
9. | सिद्धिदात्री | – सर्व सिद्धि देने वाली |
Chaitra Navratri 2020 नवरात्रि में जौ बोने के पीछे मूुख्य कारण यह माना जाता है कि जौ यानि अन्न ब्रह्म स्वरूप है और हमें अन्न का सम्मान करना चाहिण्। इसके अलावा धार्मिक Chaitra Navratri 2020 मान्यता के अनुसार धरती पर सबसे पहली फसल जौ उगाई गई थी।
छोटी कन्याओं को देवी Chaitra Navratri 2020 का स्वरूप माना जाता है और वे उर्जा का प्रतीक मानी जाती है, इसलिए नवरात्रि में इनकी विशेष पूजा करते हैं।
उम्र के अनुसार | कन्याओं का देवी स्वरूप |
चार साल की कन्या | – कल्याणी |
पांच साल की कन्या | – रोहिणी |
छ: साल की कन्या | – कालिका |
सात साल की कन्या | – चण्डिका |
आठ साल की कन्या | – शांभवी |
नौ साल की कन्या | – दुर्गा |
दस साल की कन्या | – सुभद्रा |
भगवान शिव ने मां दुर्गा Chaitra Navratri 2020 की सेवा के लिए हर शक्तिपीठ के साथ एक-एक भैरव को रखा हुआ है, इसलिए देवी के साथ इनकी पूजा भी ज़रूरी होती है, तभी कन्या पूजन में भैरव के रूप में एक बालक को भी रखते हैं।
Chaitra Navratri 2020नवरात्रि का पहला दिन यदि रविवार या सोमवार हो तो मां दुर्गा “हाथी” पर सवार होकर आती हैं। यदि शनिवार और मंगलवार से नवरात्रि की शुरुआत हो तो माता “घोड़े” पर सवार होकर आती हैं। वहीं गुरुवार और शुक्रवार का दिन नवरात्रि Chaitra Navratri 2020 का पहला दिन हो तो माता की सवारी “पालकी” होती है। और अगर नवरात्रि बुधवार से शुरू हो तो मां दुर्गा “नाव” में सवार होकर आती हैं।
माता के वाहन | शुभ और अशुभ |
हाथी | – शुभ |
घोड़ा | – अशुभ |
डोली | – अशुभ |
नाव | – शुभ |
मुर्गा | – अशुभ |
नंगे पाव | – अशुभ |
ग-धा | – अशुभ |
हंस | – शुभ |
सिंह | – शुभ |
बाघ | – शुभ |
बैल | – शुभ |
गरूड | – अशुभ |
मोर | – शुभ |
दिन | देवी | मंत्र |
पहला दिन | – शैलपुत्री | – ह्रीं शिवायै नम:। |
दूसरा दिन | – ब्रह्मचारिणी | – ह्रीं श्री अम्बिकायै नम:। |
तीसरा दिन | – चन्द्रघण्टा | – ऐं श्रीं शक्तयै नम:। |
चौथा दिन | – कूष्मांडा | – ऐं ह्री देव्यै नम:। |
पांचवा दिन | – स्कंदमाता | – ह्रीं क्लीं स्वमिन्यै नम:। |
छठा दिन | – कात्यायनी | – क्लीं श्री त्रिनेत्राय नम:। |
सातवां दिन | – कालरात्रि | – क्लीं ऐं श्री कालिकायै नम:। |
आठवां दिन | – महागौरी | – श्री क्लीं ह्रीं वरदायै नम:। |
नौवां दिन | – – सिद्धिदात्री | – ह्रीं क्लीं ऐं सिद्धये नम:। |
नवरात्रि (Navratri) के दौरान पूजी जाने वाली सभी 9 माताओं के अलग रंग होते हैं। कई भक्त पूरे Chaitra Navratri 2020 नवरात्रि इन्हीं खास रंगों के कपड़े (Navratri Colors) पहनते हैं, तो कुछ हर दिन माता को उन्हीं से जुड़े रंग के आसन बिछाकर पूजते हैं। यहां जानिए कौन-सी माता को भाता है कौन-सा रंग…
प्रतिपदा | – पीला रंग। |
द्वितीया | – हरा रंग । |
तृतीया | – भूरा रंग । |
चतुर्थी | – नारंगी रंग। |
पंचमी | – सफेद रंग । |
षष्ठी | – लाल रंग । |
सप्तमी | – नीला रंग। |
अष्टमी | – गुलाबी रंग। |
नवमी | – बैगनी रंग । |
नवरात्रि पर्व पर माता की आराधना के साथ ही व्रत-उपवास और पूजन का विशेष महत्व है। जिस प्रकार नवरात्रि के नौ दिन, मां दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है, उसी प्रकार इस नौ दिनों में माता को प्रत्येक दिन के अनुसार भोग या प्रसाद अर्पित करने से देवी मां सभी प्रकार की समस्याओं का नाश करती हैं।
नवरात्रि के 9 दिन | मां दुर्गा के भोग |
प्रतिपदा | – गाय का घी |
द्वितीया | – शक़्कर |
तृतीया | – दूध व दूध की मिठाई |
चतुर्थी | – मालपुए |
पंचमी | – केला |
षष्ठी | – शहद |
सप्तमी | – गुड़ |
अष्टमी | – नारियल |
नवमी | – तिल |
मंत्र : “सुरासम्पूर्णकलशं रूधिराप्लुतमेव च।
दधानाहस्तपद्याभ्यां कुष्माण्डा शुभदास्तु में॥”
विवाह के लिए कात्यायनी मंत्र-
‘ऊॅं कात्यायनी महामाये महायोगिन्यधीश्वरि ! नंदगोपसुतम् देवि पतिम् मे कुरुते नम:।‘