शिव
महेश्वर
शम्भू
पिनाकी
शशिशेखर
वामदेव
विरूपाक्ष
कपर्दी
नीललोहित
शंकर
शूलपाणी
खटवांगी
विष्णुवल्लभ
शिपिविष्ट
अंबिकानाथ
श्रीकण्ठ
भक्तवत्सल
भव
शर्व
त्रिलोकेश
शितिकण्ठ
शिवाप्रिय
उग्र
कपाली
कामारी
सुरसूदन
गंगाधर
ललाटाक्ष
महाकाल
कृपानिधि
भीम
परशुहस्त
मृगपाणी
जटाधर
कैलाशवासी
कवची
कठोर
त्रिपुरांतक
वृषांक
वृषभारूढ़
भस्मोद्धूलितविग्रह
सामप्रिय
स्वरमयी
त्रयीमूर्ति
अनीश्वर
सर्वज्ञ
परमात्मा
सोमसूर्याग्निलोचन
हवि
यज्ञमय
सोम
पंचवक्त्र
सदाशिव
विश्वेश्वर
वीरभद्र
गणनाथ
प्रजापति
हिरण्यरेता
दुर्धुर्ष
गिरीश
गिरिश्वर
अनघ
भुजंगभूषण
भर्ग
गिरिधन्वा
गिरिप्रिय
कृत्तिवासा
पुराराति
भगवान्
प्रमथाधिप
मृत्युंजय
सूक्ष्मतनु
जगद्व्यापी
जगद्गुरू
व्योमकेश
महासेनजनक
चारुविक्रम
रूद्र
भूतपति
स्थाणु
अहिर्बुध्न्य
दिगम्बर
अष्टमूर्ति
अनेकात्मा
सात्त्विक
शुद्धविग्रह
शाश्वत
खण्डपरशु
अज
पाशविमोचन
मृड
पशुपति
देव
महादेव
अव्यय
हरि
पूषदन्तभित्
अव्यग्र
दक्षाध्वरहर
हर
भगनेत्रभिद्
अव्यक्त
सहस्राक्ष
सहस्रपाद
अपवर्गप्रद
अनंत
तारक
परमेश्वर
उपरोक्त 108 नामों के जप के बाद नीचे दी गई आरती का गायन श्रद्धा पूर्वक करें।
ॐ जय शिव ओंकारा,भोले हर शिव ओंकारा।
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥
ॐ हर हर हर महादेव…॥
एकानन चतुरानन पंचानन राजे।
हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥
ॐ हर हर हर महादेव..॥
दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे।
तीनों रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥
ॐ हर हर हर महादेव..॥
अक्षमाला बनमाला मुण्डमाला धारी।
चंदन मृगमद सोहै भोले शशिधारी॥
ॐ हर हर हर महादेव..॥
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे॥
ॐ हर हर हर महादेव..॥
कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता।
जगकर्ता जगभर्ता जगपालन करता॥
ॐ हर हर हर महादेव..॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका।
प्रणवाक्षर के मध्ये ये तीनों एका॥
ॐ हर हर हर महादेव..॥
काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी।
नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी॥
ॐ हर हर हर महादेव..॥
त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे॥
ॐ हर हर हर महादेव..॥
ॐ जय शिव ओंकारा भोले हर शिव ओंकारा
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव अर्द्धांगी धारा।।
ॐ हर हर हर महादेव….।।
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