त्योहार

30 मई गुरुवार को भूलकर भी न करें ये 11 काम, नहीं तो…

अपरा एकादशी 30 मई 2019 गुरुवार

May 29, 2019 / 12:34 pm

Shyam

30 मई गुरुवार को भूलकर भी न करें ये 11 काम, नहीं तो…

सभी तिथियों में सर्वश्रेष्ठ तिथि एकदशी तिथि को मानी जाती है, इस दिन उपवास रखकर जप-तप, यज्ञ, दान और सेवा आदि के पुण्य कार्य करना बहुत ही लाभकारी माने जाते हैं। धर्म शास्त्रों में यहां तक कहा गया है कि एकादशी तिथि के दिन 11 ऐसे काम है, जिन्हें भूलकर भी करना चाहिए। ऐसा करने से आपके बनने वाले कार्यों में भी बाधाएं आ सकती है। जानें अपरा एकादशी के दिन किन कामों को करने से बचकर रहे।

 

1- जुआ खेलना- जुआ खेलना एक सामाजिक बुराई है। जो व्यक्ति जुआ खेलता है, उसका परिवार व कुटुंब भी नष्ट हो जाता है। जिस स्थान पर जुआ खेला जाता है, वहां अधर्म का राज होता है। इसलिए सिर्फ ग्यारस को ही नहीं बल्कि कभी भी जुआ नहीं खेलना चाहिए।

2- रात में सोना- कहा जाता है कि एकादशी तिथि की रात को शयन नहीं चाहिए, पूरी रात जागकर भगवान विष्णु की भक्ति, मंत्र जप और भजन करना चाहिए। इससे भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।

 

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3- पान खाना- एकादशी तिथि के दिन पान खाना भी वर्जित माना गया है, इस दिन पान खाने से व्यक्ति के मन में रजोगुण की प्रवृत्ति बढ़ती है।

4- दातून करना- एकादशी के दिन दातून (मंजन) करने की भी मनाही है ।

 

5- दूसरों की बुराई से बचना- दूसरों की बुराई करना यानी की परनिंदा, ऐसा करने से मन में दूसरों के प्रति कटु भाव आ सकते हैं।

6- चुगली करना- चुगली करने से मान-सम्मान में कमी आ सकती है। कई बार अपमान का सामना भी करना पड़ सकता है।

7- चोरी करना- चोरी करना पाप कर्म माना गया है, चोरी करने वाला व्यक्ति परिवार व समाज में घृणा की नजरों से देखा जाता है। इसलिए एकादशी तिथि को चोरी जैसा पाप कर्म नहीं करना चाहिए।

 

8- हिंसा करना- एकादशी के दिन हिंसा करना महापाप माना गया है। हिंसा केवल शरीर से ही नहीं मन से भी होती है। इससे मन में विकार आता है। इसलिए शरीर या मन किसी भी प्रकार की हिंसा इस दिन नहीं करनी चाहिए।

9- स्त्रीसंग- एकादशी पर स्त्रीसंग करना भी वर्जित है क्योंकि इससे भी मन में विकार उत्पन्न होता है और ध्यान भगवान भक्ति में नहीं लगता । अतः ग्यारस के दिन स्त्रीसंग नहीं करना चाहिए।

 

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10- क्रोध- इस दिन क्रोध भी नहीं करना चाहिए, क्रोध को मानसिक हिंसा कहा गया है।

11- झूठ बोलना- झूठ बोलना व्यक्तिगत बुराई है। जो लोग झूठ बोलते है, उन्हें समाज व परिवार में उचित मान सम्मान नहीं मिलता, इसलिए सिर्फ एकादशी पर ही नहीं अन्य दिनों में भी झूठ नहीं बोलना चाहिए।

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