फैजाबाद : बीते शुक्रवार को फैज़ाबाद के डॉ राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के बीएससी थर्ड ईयर के परीक्षा परिणाम घोषित कर दिए गए . परीक्षा परिणाम आने के बाद फैजाबाद मंडल में उच्च शिक्षा की एक शर्मनाक तस्वीर सामने आई है . जिसमें बीएससी भाग 3 के परीक्षा में 80 फिसदी छात्र फेल हो गए सिर्फ 20 फ़ीसदी छात्र ही परीक्षा को पास कर सके . बताते चलें कि इस वर्ष डॉ राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय द्वारा संपन्न कराई गई परीक्षा में कड़े सुरक्षा इंतजाम थे और परीक्षा केंद्रों पर सीसीटीवी की निगरानी में परीक्षाएं संपन्न कराई गई थी . जिसका परिणाम यह रहा कि इस सख्ती के चलते बीएससी भाग 3 का परीक्षा परिणाम औंधे मुंह गिर गया और 100 में से सिर्फ 20 फ़ीसदी छात्र ही परीक्षा को पास कर सके 80 फिसदी छात्र इस परीक्षा में फेल हो गए . हालांकि विश्वविद्यालय प्रशासन परीक्षा परिणाम को नकल विहीन परीक्षा का प्रभाव बता रहा है और परीक्षा में पारदर्शिता को लेकर अपनी पीठ थपथपा रहा है , लेकिन सवाल यह जरूर है कि क्या फैजाबाद मंडल में उच्च शिक्षा की स्थिति इतनी बुरी है कि अगर नकल ना हो तो बच्चे परीक्षा पास ना कर पाए . सवाल विश्वविद्यालय प्रशासन पर भी है कि विश्वविद्यालय से संबद्ध महाविद्यालयों में आखिरकार पढ़ाई क्यों नहीं हो रही है अगर 80 फिसदी बच्चे फेल हो रहे हैं तो इसके पीछे जिम्मेदार कौन है .
नक़ल विहीन परीक्षा को लेकर विश्वविद्यालय प्रशाशन थपथपा रहा अपनी पीठ पठन पाठन के गिरते स्तर पर नही है किसी का ध्यान शुक्रवार को परीक्षा नियंत्रक एसएस पाल ने उक्त परीक्षा परिणाम घोषित किया और इसे वेबसाइट पर अपलोड करा दिया है , परीक्षा परिणामों में बीएससी भाग 3 के परिणाम में 83 महाविद्यालयों से पंजीकृत 18408 छात्र-छात्राओं में से सिर्फ 3829 छात्र-छात्राएं ही परीक्षा को पास कर पाए जबकि 14281 छात्र-छात्राएं फेल हो गए . इन नतीजों के तहत अंबेडकर नगर के 18 अमेठी के दो बहराइच के चार बाराबंकी के आठ फैजाबाद के 21 गोंडा सुल्तानपुर और प्रतापगढ़ के 10 -10 फ़ीसदी छात्र शामिल रहे . गौरतलब है कि पूर्व में बीएससी प्रथम वर्ष का परीक्षा परिणाम भी निराशाजनक ही रहा था ,उसके बाद बीएससी भाग 3 का परीक्षा परिणाम खराब आने के बाद बेहद कमजोर शिक्षा व्यवस्था के ढांचे की शर्मनाक तस्वीर सामने आ गई है . जाहिर तौर पर परीक्षा परिणाम के लिए सिर्फ छात्रों को दोषी ठहराना उचित नहीं है ,बल्कि महाविद्यालयों में पठन-पाठन के स्तर पर भी ध्यान देने की जरूरत है . नकलविहीन परीक्षा का दावा तो अपनी जगह ठीक है लेकिन महाविद्यालयों में पढ़ाई हो इसकी जिम्मेदारी भी विश्वविद्यालय प्रशासन और विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर मनोज दीक्षित की है .
कुलपति प्रो मनोज दीक्षित ने दी सफाई बीते 10 वर्षों में खराब रहा शिक्षा का स्तर जिसकी वजह से खराब आये परिणाम परीक्षा में बरती गयी पूरी निष्पक्षता वहीँ परीक्षा परिणाम के बाबत मीडिया के सवालों के जवाब में कुलपति प्रो मनोज दीक्षित ने सफाई देते हुए कहा कि अभी उनके कार्यकाल को एक वर्ष हुए हैं आने वाले वर्ष में परीक्षा परिणाम बेहतर होंगे ,कुलपति ने कहा कि बीते 10 वर्षों में शिक्षा व्यवस्था किस स्तर पर रही है ये सभी को पता है ,व्यवस्था बदलने में थोडा समय लगेगा ,परीक्षा में पूरी पारदर्शिता और निष्पक्षता बरती गयी है ,नक़ल विहीन परीक्षा कराने का पूरा प्रयास किया गया है ,नतीजे खराब आये हैं इसका जवाब वही दे सकते हैं जिन्होंने परीक्षा दी है ,हमारा प्रयास होगा की आने वाले वर्ष में परिणाम बेहतर हो .