अफसरों को भी रखा कार्यक्रम से दूर असल में वन्य जीव सप्ताह के तहत इटावा सफारी पार्क को जनप्रर्दशन के लिए पहले 1 अक्टूबर को और फिर 6 अक्टूबर को खोला जाना था। लगातार राज्य के वन मंत्रालय से लेकर मुख्यमंत्री कार्यालय तक को पत्राचार किये जाने के साथ-साथ अफसरों की लखनऊ तक दौड़ चल रही थी। एक जुलाई को राज्य वन मंत्री दारा सिंह चौहान ने इटावा में कहा था कि इटावा सफारी पार्क वन जीव सप्ताह में खोला जाएगा। वहीं एक जून को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इटावा के सधन दौरे पर आये थे। तब उन्होंने अन्य योजनाओं के साथ ही इटावा सफारी पार्क का भी उद्घाटन किया गया था लेकिन आम आदमी के लिए नहीं खोला जा सका। देश दुनिया मे पहचान पा चुके अखिलेश सरकार के इटावा सफारी पार्क का लोकार्पण बिना तामझाम के किये जाने पर सवाल भी उठना शुरू हो गये। यही नहीं बल्कि इटावा सफारी पार्क के अफसरों को भी कार्यक्रम से दूर ही रखा गया।
सपा को न मिल जाए फायदा इटावा सफारी पार्क के निर्माण पर 324 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं। समाजवादी पार्टी के जिलाध्यक्ष गोपाल यादव कहते हैं कि अपने शुभारंभ से पहले ही दुनिया भर मे लोकप्रिय हो चुकी है लेकिन जिस ढंग से इटावा सफारी पार्क की नजरअंदाजी की जा रही है, यह किसी से भी छुपी नहीं है। उनका कहना है कि केवल इटावा सफारी पार्क का इसलिए योगी सरकार शुभारंभ नही करवा रही है क्योंकि उन्हें डर है कि इसका फायदा कहीं समाजवादी पार्टी को नही मिल जाये।
इटावा के डा.आशीष दीक्षित का कहना है कि इटावा सफारी पार्क का निर्माण अखिलेश सरकार ने चंबल की छवि को बदलने के इरादे से कराया। लेकिन सरकार की मंशा ठीक नहीं दिख रही है। इसलिए इस अहम प्रोजेक्ट का शुभांरभ नहीं करवाया जा रहा है। जबकि इसकी पहचान दुनिया भर में बन चुकी है। अगर इसका शुभारंभ हो जाता है, तो फिर इसका आंनद पर्यटकों के अलावा इटावा वासियों को हर हाल में मिलेगा। वहीं इटावा के रेडक्रास सोसायटी के सचिव आकाशदीप जैन का कहना है कि यह अरबों रुपये का प्रोजेक्ट है। लेकिन योगी सरकार राजनीतिक कारणों से और अपने फायदे के लिए इसका शुभारंभ करने से पीछे हट रही है।