टेस्ला को बेंगलुरु में अपनी भारतीय इकाई को पंजीकृत किए एक साल से अधिक समय हो गया है, लेकिन अभी भी इस बात की पुष्टि नहीं हो सकी है कि आखिर कब इस ब्रांड को इंडिया में लॉन्च किया जाएगा। सरकार देश में स्थानीय विनिर्माण स्थापित करने के लिए इलेक्ट्रिक वाहन दिग्गज को प्रोत्साहित कर रही है। इससे पहले नितिन गडकरी ने कहा था कि, यदि Tesla चीन में वाहनों का निर्माण कर भारत में बिक्री करना चाहती है तो ऐसा संभव नहीं है। उन्होनें साफ शब्दों में कहा था कि, चीन में प्रोडक्शन और भारत में कारोबार, ऐसा बिल्कुल नहीं चलेगा।
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बहरहाल, दिल्ली में एक कार्यक्रम में बोलते हुए गडकरी ने कहा कि वे दिन बहुत दूर नहीं हैं जब सभी इलेक्ट्रिक वाहनों की कीमतें देश में पेट्रोल वाहनों की कीमत से कम या उसके बराबर होंगी। इससे पहले 26 अप्रैल को, गडकरी ने कहा था, अगर टेस्ला भारत में अपने ईवी का निर्माण करने के लिए तैयार है तो ‘कोई समस्या नहीं’ है, लेकिन कंपनी को चीन से कारों का आयात नहीं करना चाहिए। उन्होनें कहा था कि, “अगर एलॉन मस्क (टेस्ला के सीईओ) भारत में निर्माण के लिए तैयार हैं तो कोई समस्या नहीं है … भारत आओ, निर्माण शुरू करो, भारत एक बड़ा बाजार है, वे भारत से निर्यात कर सकते हैं।”
एलॉन मस्क ने कहा था कि, यदि भारत सरकार टैक्स में रियायत करती है तो भारत में Tesla की इलेक्ट्रिक कारों को पेश करने में आसानी होगी। लेकिन भारी उद्योग मंत्रालय ने टेस्ला से कहा था कि वह किसी भी कर रियायत पर विचार करने से पहले भारत में अपने इलेक्ट्रिक वाहनों का निर्माण शुरू करे। वर्तमान में, भारत में 40,000 अमरीकी डालर मूल्य तक के पूरी तरह से निर्मित इकाइयों (CBU) के रूप में आयात की जाने वाली कारों पर इंजन आकार और लागत, बीमा और माल ढुलाई (CIF) के आधार पर 60-100 प्रतिशत तक सीमा शुल्क लगता है।
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बता दें कि, पिछले साल, सड़क मंत्रालय को लिखे एक पत्र में, अमेरिकी कंपनी Tesla ने कहा था कि 40,000 अमरीकी डालर से अधिक के सीमा शुल्क वाले वाहनों पर 110 प्रतिशत का प्रभावी आयात शुल्क इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए “निषेधात्मक” है। इस पर सरकार को विचार करना चाहिएं और करों में रियायत देनी चाहिए।