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UP Assembly Election 2022: किसान महापंचायत से आस लगाए रालोद और सपा को क्या पश्चिमी में मिलेगी संजीवनी ?

UP Assembly Election 2022: रालोद और सपा को उम्मीद थी कि महापंचायत में टिकैत बंधु रालोद के प्रति हमदर्दी जताएंगे और चौधरी अजित सिंह के बारे में कुछ कहा जाएगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

Sep 06, 2021 / 05:25 pm

Nitish Pandey

UP Assembly Election 2022: उत्तर प्रदेश में 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव से ठीक पहले मुजफ्फरनगर में हुई किसान महापंचायत में संयुक्त किसान मोर्चा ने भले ही केंद्र और प्रदेश की सत्ताधारी पार्टी भाजपा के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। लेकिन किसान आने वाले चुनाव में प्रदेश में किस पार्टी को समर्थन करेगा इसके पत्ते महापंचायत में नहीं खोले गए। इसकी बेचैनी राजनैतिक दलों में साफ देखी जा रही है। यह बेचैनी सबसे अधिक रालोद के नौजवान मुखिया जयंत चौधरी और सपा के युवा कर्णधार और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव में दिख रही है।
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बिगड़ सकते हैं रालोद के समीकरण

रालोद और सपा को उम्मीद थी कि महापंचायत में टिकैत बंधु रालोद के प्रति हमदर्दी जताएंगे और चौधरी अजित सिंह के बारे में कुछ कहा जाएगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। पश्चिमी यूपी के जाटलैंड कहे जाने वाले मुजफ्फरनगर की महापंचायत से किसानों ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के चुनाव में बीजेपी को वोट से चोट देने का खुला ऐलान तो कर दिया। लेकिन महापंचायत में आई किसानों की इस भीड़ को विपक्ष क्या भाजपा के खिलाफ वोट देने में कामयाब कर सकेगा। किसान महापंचायत में कृषि कानूनों की वापसी, एमएसपी की गारंटी, गन्ना मूल्य बढ़ोत्तरी की मांग उठाई गई तो वहीं रेलवे, एयरपोर्ट, बैंक व बीमा समेत सार्वजनिक क्षेत्र को निजी हाथों में देने का भी सरकार पर आरोप लगाया।
सियासी रंग में बदलना शुरू हो चुका है आंदोलन

किसानों के तेवर देखकर साफ है कि कृषि कानूनों के विरोध में शुरू हुआ यह आंदोलन अब सियासी रंग में बदलना शुरू हो चुका है। किसानों की लड़ाई इस लिटमस टेस्ट का परिणाम 2022 में यूपी के विधानसभा चुनाव में दिखाई देगा।
सपा, बसपा और आरएलडी को मिलता रहा है फायदा

बता दें कि पश्चिमी यूपी में हमेशा ही जाट-मुस्लिम समीकरण रहा है, जिसका फायदा बसपा, सपा और राष्ट्रीय लोकदल को मिलता रहा है। लेकिन 2013 में यह समीकरण बिगड़ गया। अब जबकि कृषि बिल का विरोध किसानों द्वारा शुरू किया गया है तो रालोद को उम्मीद है कि इस बार 2022 में पश्चिमी उत्तर प्रदेश की बेल्ट में भाजपा के खिलाफ उभरे इस आक्रोश को वो अपने जनाधार के रूप में बदल सकती है। इसकी कोशिश रालोद के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी कर भी रहे थे। लेकिन जयंत को इस महापंचायत में न तो मंच पर ही जगह मिली और न उनको किसानों के ऊपर फूल बरसाने की इजाजत प्रशासन की ओर से मिली।
पंचायत चुनाव में रालोद-सपा का था बेहतर प्रदर्शन

पश्चिम यूपी में पिछले दिनों हुए पंचायत चुनाव में रालोद और सपा गठबंधन ने बेहतर प्रदर्शन किया था। पश्चिम क्षेत्र में 445 पंचायत सदस्य हैं, जिनमें से भाजपा 99 ही जीत सकी थी। जबकि रालोद ने तीन सौ जिला पंचायत सदस्य जीतने का दावा किया था। इतना ही नहीं रालोद का गढ़ कहे जाने वाले बागपत में पार्टी ने अपना जिला पंचायत अध्यक्ष बनवाकर भाजपा को कड़ी चोट दी है। लेकिन क्या पंचायत चुनाव जैसा प्रदर्शन रालोद 2022 के विधानसभा चुनाव में दोहरा पाएगा। यह भविष्य के गर्त में छिपा हुआ है।
BY: KP Tripathi

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