मालवीय नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MNIT) में इसरो के रीजनल एकेडमिक सेंटर फॉर स्पेस की शुरुआत की जाएगी। पांच फरवरी को इसका इनॉग्रेशन इसरो चेयरमैन के.सिवन वर्चुअली करेंगे। जबकि कैपेसिटी बिल्डिंग प्रोग्राम ऑफिस के डायरेक्टर पी. वी. वेंकटकृष्णन मौजूद रहेंगे। mnit प्रशासन के अनुसार, इसरो के वेस्ट रीजन के लिए इंस्टीट्यूट का चयन किया जाना गौरव का विषय है। इसके तहत राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र और गोवा के इंस्टीट्यूट्स को शामिल किया जाएगा।
रिसर्च को करेगा प्रमोट
यह सेंटर आसपास के इंस्टीट्यूट्स में स्पेस टेक्नोलॉजी और रिसर्च को प्रमोट करेगा। इसके लिए रीजनल कॉर्डिनेटर को नियुक्त किया जाएगा। सेंटर के जरिए UG, PG, Ph.D. के रिसर्च प्रोजेक्ट्स के लिए ट्रेनिंग और ग्रांट दी जाएगी। इसके साथ ही स्पेस टेक्नोलॉजी की कॉन्फ्रेंस, सेमिनार और वर्कशॉप का आयोजन किया जाएगा। इससे स्पेस रिसर्च में रुचि रखने वाले स्टूडेंट्स को प्लेटफॉर्म मिलेगा।
मंगलवार को ISRO और MNIT के बीच 10 साल के लिए एमओयू साइन किया जाएगा। फिलहाल इसे इंक्यूबेशन सेंटर में शुरू किया जाएगा, जबकि डेडिकेटेड बिल्डिंग भी प्लान की गई है।
एमएनआइटी से बाहर के स्टूडेंट्स को भी मौका
एमएनआइटी में सिविल इंजीनियरिंग विभाग के प्रो.रोहित गोयल ने बताया कि इसरो के ‘की रिसर्च एरियाज’ मसलन, सेंसर, लॉन्च व्हीकल, सोलर पैनल, रिमोट सेंसिंग और अन्य नीड बेस्ड प्रोजेक्ट्स दिए जा सकते हैं। हालांकि पहले भी एमएनआइटी में इसरो के रिसर्च प्रोजेक्ट्स होते आए हैं, लेकिन इस सेंटर से विभिन्न इंस्टीट्यूशंस और स्टूडेंट्स में रिसर्च का दायरा बढ़ेगा। एमएनआइटी से बाहर भी स्टूडेंट्स इसमें अपना रिसर्च प्रोजेक्ट सब्मिट कर सकेंगे। जिसका इवेल्यूएशन किया जाएगा, साथ ही फीडबैक मिलेगा। सलेक्टेड रिसर्चर को ट्रेनिंग व फंडिंग प्रोवाइड कराई जाएगी।
‘पिछले छह महीने से कवायद चल रही थी। इसरो के साइंटिस्ट्स ने दो बार इंस्टीट्यूट का दौरा किया और यहां रिसर्च की क्वालिटी को परखा। इस आधार पर उन्होंने वेस्ट रीजन के बेहतरीन इंस्टीट्यूट के तौर पर एमएनआइटी को रिकग्नाइज किया। सेंटर के शुरू होने से स्टूडेंट्स को इसरो में एक्सपोजर मिलेगा।’