राजस्थान पत्रिका से बातचीत में फ्रेंच ट्यूटर कृतिका शर्मा ने बताया कि पिछले दो वर्षों के मुकाबले इस वर्ष 20 फीसदी अधिक बच्चों ने एडमिशन लिया है। खास बात ये है कि बच्चे अब छोटी उम्र से ही भाषा पर पकड़ मजबूत बनाने का प्रयास कर रहे हैं। पहले 15 से 16 वर्ष की आयु के बच्चे अधिक मात्रा में आते थे। अब माता-पिता 8 से 10 वर्ष की आयु के बच्चों को अलग-अलग प्रकार की लैंग्वेज सीखने के लिए भेज रहे हैं।
यह भी पढे़ं- नीट परीक्षा में हैं अच्छे स्कोर फिर भी छात्रों की पहली पसंद विदेश के कॉलेज, आखिर क्यों…जानें 5 कारण जयपुर के इन क्षेत्रों में फॉरेन लैंग्वेज के क्लासेज (Foreign Language Classes In Jaipur)
- आदर्श नगर
- बापूनगर
- लाल कोठी
- गोपालपुरा
- खातीपुरा
- मालवीय नगर
- चित्रकूट
फॉरेन लैंग्वेज से मिलेंगे रोजगार (Foreign Language)
बता दें, वर्तमान में भारत में 1800 से ज्यादा जर्मन कंपनियां हैं। इसके अलावा जर्मनी में नर्सिंग फील्ड में भी लोगों के लिए अच्छा स्कोप है। वहीं, टूरिज्म इंडस्ट्री में भी फॉरेन लैंग्वेज (Foreign Language) सीखने वालों के लिए कई स्कोप है। बच्चे टूरिस्ट गाइड्स से लेकर फॉरेन लैंग्वेज ट्यूटर, होटल लाइन, लैंग्वेज स्पेशलिस्ट, कॉलेज-यूनिवर्सिटी समेत कई क्षेत्रों में बेहतरीन जॉब पा सकते हैं। साथ ही वे फॉरेन यूनिवर्सिटीज में भी दाखिला ले सकते हैं। इन लैंग्वेज को सीखने का सबसे बड़ा फायदा ये है कि वे ऑनलाइन मोड पर देश-विदेश की एमएनसी कंपनियों में अच्छे पैकेज पर वर्क कर सकते हैं।