CG Medical College: उन्होंने अपने बच्चों को प्रवेश नियम के अनुसार ही एडमिशन दिलाया है। अगर पहले राउंड में एडमिशन सही है तो दूसरे राउंड का गलत कैसे? हालांकि अभी पैरेंट्स वेट एंड वॉच की स्थिति में है। एजी की राय की गाइडलाइन सरकार सार्वजनिक कर देगी, तब कई पैरेंट्स कोर्ट का दरवाजा भी खटखटा सकते हैं।
CG Medical College: 24 सितंबर के हुए एडमिशन रद्द
CG Medical College: बताया जा रहा है कि एजी ने एनआरआई कोटे के तहत केवल माता-पिता के बच्चों को माना है। अभी दो पीढ़ी के तहत करीबी रिश्तेदार आते हैं। पैरेंट्स का कहना है कि अगर दूसरे राउंड का एडमिशन रद्द किया जाता है तो उनके बच्चों का एक साल बर्बाद हो जाएगा। इसी रैंक व नीट स्कोर पर डीम्ड यूनिवर्सिटी से संबद्ध मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन हो जाता। चूंकि वे लोकल हैं इसलिए रायपुर व आसपास के
मेडिकल कॉलेजों में अपने बच्चों को प्रवेश कराए हैं। एक साल बर्बाद होने के लिए कौन जिम्मेदार है।
पत्रिका ने गुरुवार को खबर प्रकाशित कर बताया है कि 24 सितंबर के हुए एडमिशन रद्द किए जाएंगे। ये इसलिए क्योंकि सुप्रीम कोर्ट का फैसला इसी दिन आया था। ये पंजाब सरकार की याचिका पर दिया गया फैसला था। खासकर मेडिकल कॉलेजों से संबंधित सुप्रीम कोर्ट का फैसला देशभर में लागू होता है। बड़ा सवाल ये है कि इस कोटे पर बवाल केवल छत्तीसगढ़ में क्यों हो रहा है? दूसरे राज्यों में क्यों नहीं? क्योंकि एनआरआई कोटे में प्रवेश का नियम देशभर में एक समान होने का दावा पैरेंट्स कर रहे हैं। पत्रिका की पड़ताल में भी पता चला है कि जम्मू-कश्मीर को छोड़कर मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश नियम पूरे देशभर में एक समान है।
शासन के पास केवल 14 दिनों का समय
राज्य शासन के पास
एमबीबीएस की विवादित सीटों समेत पूरा एडमिशन करने के लिए केवल 14 दिनों का समय है। एनएमसी की गाइडलाइन के अनुसार इस साल 31 अक्टूबर तक एडमिशन होंगे। अभी मापअप व स्ट्रे वेकेंसी राउंड बाकी है। दो राउंड बाकी है। इसलिए खाली सीटों को भरना जरूरी है। दूसरे राउंड की काउंसलिंग के बाद सरकारी मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस की महज 5 सीटें खाली हैं। इनमें कांकेर में दो, महासमुंद व सिम्स बिलासपुर में एक-एक सीट खाली है।
वहीं 5 निजी कॉलेजों में 68 सीटें खाली हैं। इनमें बालाजी में 9, रिम्स में 21, रावतपुरा में 22, अभिषेक में 8 व शंकराचार्य में 8 सीटें खाली हैं। बालाजी में मैनेजमेंट कोटे में प्रवेश लेने वाली एक छात्रा ने सीट छोड़ दी है। इसे मापअप राउंड में शामिल किया गया है। छात्रों से च्वाइस फिलिंग 9 से 14 अक्टूबर तक कराई गई। 18 से 22 अक्टूबर तक एडमिशन होना था, लेकिन यह पोस्टपोन हो गया है। एनआरआई विवाद के कारण ऐसा हुआ है।
पत्रिका ने मई में किया खुलासातब विरोध करने वाले चुप थे
पत्रिका ने 29, 30 व 31 मई को एनआरआई कोटे में एडमिशन दिलाने का झांसा दिलाने वाले एजेंटों की स्टिंग कर बड़ा खुलासा किया था कि इस कोटे में बड़ा खेल चल रहा है। पत्रिका का छोटा सा सवाल है कि तब विरोध करने वाले कहां चुप थे। उसी समय विरोध किया जाता तो ये दिन देखने न मिलते। स्पांसरशिप के तहत इस कोटे में खेल तब से हो रहा है, जब से निजी
मेडिकल कॉलेज खुले हैं।
पत्रिका की स्टिंग में इसका खुलासा भी हुआ है। ये सभी जानते भी हैं। बताया जाता है कि पिछले साल ऐसे आधा दर्जन से ज्यादा एडमिशन कराए गए, जो एनआरआई कोटे के तहत खून के रिश्ते नहीं थे। इसमें कुछ राजनीतिक दल से जड़े लोग शामिल थे।