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Bhagat Singh की शुरूआती पढ़ाई-लिखाई(Bhagat Singh Education) उनके गांव बंगा में ही हुई थी। बंगा पंजाब(एक पंजाब पाकिस्तान में भी है) प्रांत में आता है। शहीदे आजम का जन्म इसी गांव में हुआ था। कक्षा 5वीं तक की शुरुआती पढ़ाई उन्होंने अपने गांव से ही की। उसके बाद भगत सिंह उच्चतर शिक्षा के लिए लाहौर चले गए, वहां उन्होंने डीएवी कॉलेज में दाखिला ले लिया। लाहौर में ही उनकी मुलाकात भाई परमानंद और जय चंद विद्यानंकर से हुई। अपने शुरूआती दिनों से ही भगत सिंह राष्ट्रवादी विचार से प्रभावित थे।
Bhagat Singh Education : अपने गांव से ही की शुरूआती पढ़ाई
Bhagat Singh की शुरूआती पढ़ाई-लिखाई(Bhagat Singh Education) उनके गांव बंगा में ही हुई थी। बंगा पंजाब(एक पंजाब पाकिस्तान में भी है) प्रांत में आता है। शहीदे आजम का जन्म इसी गांव में हुआ था। कक्षा 5वीं तक की शुरुआती पढ़ाई उन्होंने अपने गांव से ही की। उसके बाद भगत सिंह उच्चतर शिक्षा के लिए लाहौर चले गए, वहां उन्होंने डीएवी कॉलेज में दाखिला ले लिया। लाहौर में ही उनकी मुलाकात भाई परमानंद और जय चंद विद्यानंकर से हुई। अपने शुरूआती दिनों से ही भगत सिंह राष्ट्रवादी विचार से प्रभावित थे।
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डीएवी कॉलेज के बाद भगत सिंह लाला लाजपत राय द्वारा स्थापित राष्ट्रीय कॉलेज में शामिल हो गए थे। यहीं से उन्होंने अपने आगे की पढ़ाई पूरी की। राष्ट्रीय कॉलेज से ही भगत सिंह ने 1923 में स्नातक की डिग्री हासिल की। बचपन से ही भगत सिंह को पढ़ने का बहुत शौक था। वो दुनियाभर की किताबें पढ़ा करते थे। अपने जीवन के आखिरी समय में भी वो किताब ही पढ़ रहे थे। जिस दिन शहीदे आजम भगत सिंह को फांसी दी गई, उस दिन भी किताब ही पढ़ रहे थे। अपने जीवन के आखिरी दिन वो लेनिन की जीवनी पढ़ रहे थे।
Bhagat Singh Education : किताबें पढ़ने का था शौक
डीएवी कॉलेज के बाद भगत सिंह लाला लाजपत राय द्वारा स्थापित राष्ट्रीय कॉलेज में शामिल हो गए थे। यहीं से उन्होंने अपने आगे की पढ़ाई पूरी की। राष्ट्रीय कॉलेज से ही भगत सिंह ने 1923 में स्नातक की डिग्री हासिल की। बचपन से ही भगत सिंह को पढ़ने का बहुत शौक था। वो दुनियाभर की किताबें पढ़ा करते थे। अपने जीवन के आखिरी समय में भी वो किताब ही पढ़ रहे थे। जिस दिन शहीदे आजम भगत सिंह को फांसी दी गई, उस दिन भी किताब ही पढ़ रहे थे। अपने जीवन के आखिरी दिन वो लेनिन की जीवनी पढ़ रहे थे।