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सरकार और अर्थशास्त्रियों की राय जुदा
सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय का कहना है कि 2017-18 सीरीज के जीडीपी आंकड़ों को अंतिम रूप देने से पहले इन विसंगतियों को दूर कर लिया जाएगा। आकड़ों को तैयार करने की विधि में भी जरूरत पडऩे पर संशोधन किया जा सकता है। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक परिणाम इतने निराशाजनक थे कि सर्वेक्षण के आधार पर दो विस्तृत रिपोर्टों को रद्द करना पड़ा। इस मामले में विशेषज्ञों की राय एकदम जुदा दिख रही है। कुछ का कहना है कि जीडीपी के आंकड़े इससे कमतर नहीं होते क्योंकि अर्थव्यवस्था में प्रत्येक क्षेत्र को शामिल किया जाता है। लेकिन कुछ ने जीडीपी गणना में मुखौटा कंपनियों को शामिल करने की आलोचना करते हुए कहा कि ये कंपनियां कुछ भी उत्पादन नहीं कर रही हैं।
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नहीं करते हैं अपने रिकॉर्ड दुरुस्त
रिकॉर्ड दुरुस्त न कराने के चलते विसंगतियां राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग (एनएससी) के कार्यवाहक अध्यक्ष पीसी मोहनन ने कहा कि इसमें चिंता की कोई बात नहीं है। उन्होंने कहा कि जब आप सरकारी आंकड़े देखते हैं, तो कई विसंगतियां मिलती हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि अधिकतर लोग सरकारी दस्तावेजों में अपना रिकॉर्ड दुरुस्त नहीं करते हैं। हम अपना पता बदलते हैं लेकिन ड्राइविंग लाइसेंस या कार का रजिस्ट्रेशन आदि बदलवाने की जहमत नहीं उठाते हैं। इसी तरह कई कंपनियों को दूसरी जगह ले जाने पर भी उनका पता नहीं बदलवाया गया।
विपक्ष ने सरकार को फिर घेरा
चुनावी मौसम में हुए इस खुलासे से आंकड़ों में गड़बड़ी को लेकर विपक्ष एक बार फिर सरकार पर हमलावर हो गया है। पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि एनएसएसओ के खुलासे से यह साफ है कि सरकार फर्जी आंकड़े इस्तेमाल कर रही है। गलत आंकड़े पेश किया जाना घोटाला है। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ट्वीट किया कि नई सरकार को पिछले पांच साल की आर्थिक बदहाली को दुरुस्त करना होगा।