दस का दम

श्रीकृष्ण की कुंडली में था ये दोष तभी नहीं हो पाया राधा से मिलन

श्रृष्टि के रास रचयिता श्रीकृष्ण की यूं तो पूरी दुनिया दीवानी है, लेकिन क्या आपको पता है कि उनकी कुंडली में भी एक दोष था। जिसे काल सर्प दोष कहते हैं। इस दोष के चलते ही उनका मिलन राधा से नहीं हो पाया। इस दोष से बचने के लिए श्रीकृष्ण ये उपाय करते थे।

Sep 01, 2018 / 09:36 am

Soma Roy

श्रीकृष्ण की कुंडली में था ये दोष तभी नहीं हो पाया राधा से मिलन

1.ज्योतिषविद्या के मुताबिक जब राहु और केतु के बीच दूसरे सारे ग्रह आ जाते हें। तब कालसर्प दोष बनता है। इसके अलावा राहु-केतु के अलग-अलग भावों में होने से 12 तरह के कालसर्प दोष बनते हैं।
2.भगवान श्रीकृष्ण की कुंडली में ये दोष होने के चलते ही उनका राधा जी से मिलन नहीं हो पाया, क्योंकि माना जाता है कि कालसर्प दोष से पीड़ित व्यक्ति के जीवन में सुख की कमी रहती है। ऐसे लोग जीवन में अस्थिर रहते हैं।
3.जिन लोगों की कुंडली में कालसर्प दोष होता है ऐसे लोगों को 36 साल के बाद ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। तभी श्रीकृष्ण का शुरुआती जीवन कठिनाइयों-भरा था। उनका जन्म जेल में हुआ था और उन्हें राधा से भी दूर होना पड़ा था।
4.इस दोष के निवारण के चलते ही श्रीकृष्ण अपने सिर पर मोर मुकुट सजाते हैं। क्योंकि कहते हैं कि मोर सांप को खा जाता है, इसलिए मोर पंख धारण करने से कालसर्प दोष का विपरीत प्रभाव व्यक्ति पर नहीं पड़ता है।
5.मोर पंख का एक संदेश भी देता है जिसके तहत इसमें मौजूद गहरे रंग दुख और परेशानी को दर्शाते हैं। वहीं इसके हल्के और चमकीले रंग सुख, तरक्की, संपन्नता और खुशी को। ऐसे में श्रीकृष्ण का मानना है कि व्यक्ति को जिंदगी में मिलने वाले सभी रंगों को अपनाना चाहिए और उनका सम्मान करना चाहिए।
6.श्रीकृष्ण के जीवन में मोर पंख का इसलिए भी विशेष महत्व है क्योंकि उन्हें भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है। नारायण ने जब राम का रूप लेकर वनवास काट रहे थे तभी एक दिन जंगल में चलते हुए उन्हें बहुत प्यास लगी थी। मगर दूर—दूर तक पानी नहीं था। तभी एक मोर ने उन्हें देखा और अपनी लंबी पूंछ से रास्ता बनाते हुए राम को नदी तक ले गया। जब राम नदी तक पहुंचे, तो मोर के सारे पंख झड़ चुके थे। मोर के इसी एहसान के कर्ज को चुकाने के लिए विष्णु भगवान ने अपने कृष्ण अवतार में मोर पंख को अपने सिर पर सजाकर सम्मान दिया।
7.मोर को एक पवित्र पक्षी माना जाता है। क्योंकि जब नर मोर मगन होकर नाचता है तो उसके मुंह से कुछ गिरता है जिसे खाकर मादा मोर बच्चे को जन्म देती है। उनकी इसी पवित्र भावना को देख श्रीकृष्ण को राधा की याद आती हैं।
8.श्रीकृष्ण का मोर मुकुट प्रेम और मित्रता का भी संदेश देता है। क्योंकि श्री कृष्ण के भाई बलराम शेषनाग के आवतार थे। वहीं मोर, नाग का दुश्मन होता है। मगर श्रीकृष्ण के इन दोनों चीजों को धारण करने से मित्रता का संदेश जाता है।
9.श्रीकृष्ण अपने साथ बांसुरी भी रखते हैं। उनकी बांसुरी की धुन पर संसार के सभी जीव झूम उठते हैं। मगर क्या आपको पता है कन्हैया को बांसुरी से इतना लगाव क्यो हैं। दरअसल बांसुरी में गांठ नहीं होती। ये इस बात का प्रतीक है कि व्यक्ति को भी अपने मन में मलाल नहीं रखना चाहिए। बांसुरी के इसी गुण के चलते ये श्रीकृष्ण की प्रिय है।
10.श्रीकृष्ण को माखन और मिस्री भी बहुत पसंद हैं। क्योंकि मिस्री मुंह में मिठास घोलती हैं वहीं मक्खन इसे पूरी तरह से पिघला देता है। श्रीकृष्ण की ये प्रिय चीज जीवन में भी मधुरता बनाए रखने की ओर इशारा करती है।
 

 

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