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परियोजना से होगा यह फायदा
दुर्ग, बेमेतरा व बालोद तीनों जिला तांदुला व खरखरा जलाशय पर आश्रित हैं। तांदुला में 10674 मिलियन घनफीट और खरखरा में 5000 मिलियन घनफीट भराव क्षमता है। दोनों जलाशय दबाव अधिक होने के कारण गर्मी में लगभग सूख जाते हैं। परियोजना से हर साल एक लाख क्यूसेक पानी मिलेगा। इससे तीनों जिले के 36 लाख आबादी को फायदा होगा। तादुला के निर्माण के समय इसकी सिंचाई क्षमता 68 हजार 219 हेक्टेयर थी। नहरों की लाइनिंग कर इसे 1 लाख 3 हजार 705 हेक्टेयर किया गया था। लाइनिंग खराब होने व कम बारिश से पिछली बार 83 हजार 767 हेक्टेयर में सिंचाई हो पाई थी। इस तरह करीब 20 हजार हेक्टेयर कम सिंचाई हो रही है। महानदी से एक लाख क्यूसेक पानी मिलने से तांदुला के पूरी क्षमता से सिंचाई किया जा सकेगा।
दुर्ग, बालोद और बेमेतरा जिले को निस्तारी के लिए भी तांदुला जलाशय से पानी सप्लाई किया जाता है। तीन जिले के 923 तालाबों तक गर्मी में पानी पहुंचाया जाता है। पानी की कमी के कारण सामान्य तौर पर तालाबों को केवल एक बार ही पानी दिया जाता है। तांदुला में अतिरिक्त पानी होने से तालाबों में डिमांड के अनुरूप पानी दिया जा सकेगा।
तांदुला जलाशय से भिलाई इस्पात संयंत्र और एनएसपीसीएल को भी पानी उपलब्ध कराया जाता है। इसके अलावा कई अन्य उद्योगों को भी यहीं से पानी मिलता है। भिलाई इस्पात संयंत्र व एनएसपीसीएल में एक्सपांशन के प्रोजेक्ट लंबित है। इन उद्योगों को एक्सपांशन के लिए पर्याप्त पानी मिल सकेगा। वहीं नए उद्योगों को भी तांदुला से पानी दिया जा सकेगा।
तांदुला से बालोद, दुर्ग, भिलाई, रिसाली, भिलाई तीन, चरोदा नगर निगम को पानी दिया जाता है। ये सभी नगर निगमों में आबादी का विस्तार तेजी से हो रहा है। इन शहरों को आबादी के विस्तार के अनुरूप समय समय पर पर्याप्त पानी उपलब्ध कराया जा सकेगा। वहीं गांवों में जल जीवन मिशन के तहत पेयजल सप्लाई में भी इससे आसानी होगी।