सीएलए में लेट-लाइफ, मूड स्ट्रेस एंड वेलनेस रिसर्च प्रोग्राम के निदेशक, मनोचिकित्सक डॉ. हेलेन लावरेत्स्की ने कहा कि ‘कुंडलिनी योग’ प्रशिक्षण तनाव से संबंधित हिप्पोकैम्पस कनेक्टिविटी को बेहतर ढंग से लक्षित करता है, जबकि एमईटी हिप्पोकैम्पस के संवेदी-एकीकरण उपक्षेत्रों को बेहतर ढंग से लक्षित कर सकता है, जो बेहतर स्मृति विश्वसनीयता का समर्थन करता है।
यह भी पढ़ें
Spinach Side Effects: पालक का सेवन सेहत को पहुंचा सकता है नुकसान, जानें इसके साइड इफेक्ट्स
अध्ययन में 22 प्रतिभागियों को शामिल किया गया जो अल्जाइमर जोखिम पर योग के प्रभावों का अध्ययन करने वाले एक बड़े स्वतंत्र नियंत्रित परीक्षण का हिस्सा थे। 11 योग प्रतिभागियों की औसत आयु लगभग 61 थी, जबकि एमईटी समूह में यह आयु लगभग 65 रखी गई थी। सभी ने पिछले वर्ष के दौरान याददाश्त में गिरावट की रिपोर्ट की थी। साथ ही उनमें हृदय संबंधी जोखिम था, जो अल्जाइमर रोग के जोखिम को भी बढ़ा सकते हैं। योग और एमईटी दोनों समूहों में यह सत्र 12 सप्ताह तक चला, प्रत्येक सप्ताह 60 मिनट का व्यक्तिगत प्रशिक्षण सत्र होता था। ‘कुंडलिनी योग’ प्रशिक्षण को ध्यान रूप क्रिया में समर्थित किया गया था। यह भी पढ़ें
Pomegranate Peel Benefits: अनार के छिलके भी सेहत और स्किन के लिए होते हैं फायदेमंद, जानें इसके कमाल के फायदे
निष्कर्षों के आधार पर लेखकों ने कहा कि योग प्रशिक्षण तनाव से प्रभावित हिप्पोकैम्पस उपक्षेत्र कनेक्टिविटी को बेहतर ढंग से लक्षित कर सकता है जो याददाश्त बढ़ाने में मदद कर सकता है। लावरेत्स्की ने कहा, मुख्य बात यह है कि यह अध्ययन मस्तिष्क के स्वास्थ्य के लिए योग के लाभों का समर्थन करने वाले साहित्य में शामिल है, विशेष रूप से यह उन महिलाओं के लिए जिन्हें अधिक तनाव या याददाश्त काम होने की बीमारी है। योग की क्रियाएं वृद्ध व्यस्कों के लिए आदर्श हैं।
यह भी पढ़ें