ग्रेड- 1
मरीज को लिगामेंट में मामूली खिंचाव से टखनों में सूजन व दर्द रहता है। प्रभावित हिस्से का रंग लाल व नीला हो सकता है।
इलाज : शुरुआत में आइंटमेंट की जरूरत नहीं पड़ती। आमतौर पर आराम करने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा बर्फ से सिंकाई करते हैं जिससे 4-5 दिनों में आराम मिल जाता है। एंकल स्ट्रैप की मदद से मूवमेंट को रोका जाता है।
ग्रेड- 2
अचानक खिंचाव से लिगामेंट में अधिक क्षति होती है। त्वचा नीली पड़ने के साथ तेज दर्द और सूजन आना प्रमुख लक्षण है। साथ ही प्रभावित हिस्सा गर्म रहता है।
इलाज : चेकअप के बाद भी दर्द की वजह न पता चले तो एमआरआई व सोनोग्राफी कराते हैं। आराम करने के अलावा आइस थैरेपी दी जाती है। सोते या बैठते समय तकिए के सहारे पैर को थोड़ा उठाकर रखें।
ग्रेड- 3
दर्द को सामान्य समझकर नजरअंदाज करना समस्या को अंदर ही अंदर बढ़ा देता है। लंबे समय तक ऐसा करने से लिगामेंट क्षतिग्रस्त होते हैं व जोड़ों में खराबी आ जाती है।
इलाज : दवाओं और जोड़ों की कंडिशनिंग (मसल्स की स्ट्रेंथ बढ़ाने वाले व्यायाम) के अलावा गंभीर स्थिति में सर्जरी कर लिगामेंट्स को रिपेयर करते हैं। साथ ही चलने-फिरने की मनाही होती है।
कारण : लिगामेंट्स क्षतिग्रस्त होना –
लिगामेंट्स (तंतुओं) का काम जोड़ों को अपनी जगह से खिसकने से बचाना है। ज्यादातर खिलाड़ियों को खेल के दौरान अचानक टखने के मुड़ने से पैरों-पंजों को जोड़ कर रखने वाले तंतुओं पर जोर पड़ता है। इनमें खिंचाव आने से ये क्षतिग्रस्त हो जाते हैं। सामान्य लोगों में चलते समय अचानक पैर मुड़ना, गड्ढे में पैर पड़ने से टखनों में खिंचाव आने से यह दिक्कत हो सकती है।
बचाव और सावधानी-
व्यायाम करने से जोड़ों में लचीलापन आता है और मोच की समस्या नहीं होती।
तेज दौड़ से पहले वॉक करना बॉडी वॉर्मअप के लिए जरूरी है।ताकि जोड़ों पर सीधा असर न पड़े।
जमीन समतल न होनेे पर चलते समय सावधानी बरतें।
सुबह वॉक करते समय स्पोट्र्स शूज पहनें।
टखनों या पैर में दर्द होने पर डॉक्टरी सलाह जरूर लें।