हार्ट अटैक आने पर सबसे पहले तो मरीज को लिटा दें और उसके टाइट कपड़ों को खोल दें। मरीज के सिर को नीचे की तरफ करके पैर थोड़ा ऊपर की ओर उठाकर लिटाएं, ताकि इससे पैरों के ब्लड की सप्लाई हार्ट की ओर बढ़ जाए।
मरीज की नाक को उंगलियों से दबाकर रखिए और अपने मुंह से कृत्रिम सांस दें। नथुने दबाने से मुंह से दी जा रही सांस सीधे फेफड़ों तक जा सकेगी। लंबी सांस लेकर अपना मुंह चिपकाएं, हवा मुंह से किसी तरह से बाहर न निकल रही हो। मरीज का तकिया हटा दें और उसकी ठोड़ी पकड़कर ऊपर उठा दें। इससे सांस की नली का अवरोध कम हो जाता है और कृत्रिम सांस में कोई अवरोध नहीं होता है।
मरीज की नब्ज और सांस चेक करें। अगर नब्ज नहीं चल रही है तो हॉस्पिटल पहुंचने तक सी.पी.आर. करें। इसे करने के लिए मरीज को कमर के बल लिटाकर अपनी हथेलियों को मरीज के सीने के बीच में रखकर हाथ को नीचे की ओर दबाएं। प्रति मिनट कम से कम सौ बार ऐसा करें।
मरीज के लिए इमरजेंसी मेडिकल सर्विस को फोन करें। हमेशा अपने फोन के फार्स्ट डायलिंग में नंबर सेव कर के रखें। 5. एस्प्रिन या सोर्बिट्रेट जीभ के नीचे रखें
अगर घर में ऐस्पिरिन है तो मरीज को उसे चबाने के लिए दें। अगर हार्ट के मरीज घर में हो तो हमेशा अपने साथ 5 एमजी सोर्बिट्रेट दवा रखें और अटैक की स्थित में इसे कूंच कर मरीज की जीभ के नीचे रख दें। उन्हें गहरी और लंबी-लंबी सांस लेते रहने के लिए कहें, ताकि फेफड़ों में ऑक्सीजन की कमी न हो। ये दवा तुरंत आराम दिलाएंगी