फलों के सेवन के फायदे
प्रेग्नेंसी में फलों का सेवन करने के कई सारे फायदे हैं।
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आयरन और फोलेट
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के द्वारा जारी महिलाओं के आहार से जुड़ी गाइडलाइन में बताया गया है कि फलों को फोलेट और आयरन के साथ अन्य कई मिनरल्स का अच्छा स्रोत माना जाता है, जो गर्भावस्था के दौरान होने वाली एनीमिया के जोखिम को कम करते हैं।
विटामिन-सी की पूर्ति
मां और गर्भ में पल रहे शिशु दोनों को विटामिन-सी की जरूरत होती है। यह मां और गर्भ में पल रहे बच्चे दोनों को कई बीमारियों से सुरक्षा प्रदान कर सकता है। शरीर में विटामिन-सी को एकत्रित नहीं किया जा सकता है। ऐसे में गर्भवती महिलाओं को विटामिन-सी युक्त फलों का रोजाना सेवन करने की सलाह दी जाती है।
कब्ज से राहत
गर्भावस्था के दौरान 11 से 33 प्रतिशत महिलाओं को कब्ज की समस्या हो जाती है। ऐसे में पाचन तंत्र को दुरुस्त रखने के लिए फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ का सेवन करने की सलाह दी जाती है। इसलिए, कब्ज की समस्या से बचाव के लिए फलों का सेवन लाभकारी है।
प्रीक्लेम्पसिया से बचाव
प्रेग्नेंसी के 20 वें सप्ताह के बाद गर्भवती को प्रीक्लेम्पसिया यानी उच्च रक्तचाप का जोखिम अधिक होता है। इससे बचाव के लिए भी फाइबर युक्त आहार का सेवन करने की सलाह दी जाती है।
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ये फल खाना है फायदेमंद
डॉक्टर के अनुसार, कीवी, चेरी, आम, अमरूद, नाशपाती, सेब, चीकू, स्ट्रॉबेरी, तरबूज, अनार, शरीफा, खरबूजा, संतरा, केला इत्यादि फल खाना चाहिए। फल खाने से शरीर में फोलिक एसिड, विटामिन, मिनरल, फाइबर, आयरन, विटामिन-सी, फाइटोऐस्ट्रोजेन, पॉलीफेनॉल, कैल्शियम, पोटेशियम, जिंक, कैल्शियम , विटामिन ए , कार्बोहाइड्रेट, एसेंशियल न्यूट्रिएंट्स, एंटीऑक्सीडेंट की पूर्ती होती है।
कौन सा फ्रूट नहीं खाना चाहिए-
कच्चा पपीता
गर्भावस्था के दौरान कच्चा पपीता का सेवन गर्भपात होने के जोखिम को बढ़ा सकता है। चूहों पर किए गए एक शोध में साफतौर से बताया गया है कि कच्चे पपीते का सेवन गर्भावस्था के संकुचन को ट्रिगर कर सकता है, जो गर्भपात का कारण बन सकता है।
अनानास कच्चा पपीता
गर्भावस्था के दौरान अनानास का सेवन करने से भी बचना चाहिए। एनसीबीआई पर उपलब्ध एक शोध में यह मालूम होता है कि प्रेगनेंसी में अनानास का सेवन कमर दर्द, प्रीमैच्योर डिलीवरी यानी समय से पहले प्रसव व गर्भपात का कारण बन सकता है। इसी वजह से डॉक्टर गर्भवती महिलाओं को अनानास नहीं खाने के लिए कहते हैं।
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अंगूर
गर्भावती महिला को तीसरी तिमाही में अंगूर का सेवन करने से परहेज करना चाहिए। इसके पीछे इसमें मौजूद रेस्वेराट्रोल नामक यौगिक को जिम्मेदार बताया गया है। शोध में साफतौर से बताया गया है कि रेस्वेराट्रोल में एंटी-इंफ्लेमेटरी प्रभाव होता है, जो फेटल डक्टस अर्टीरियस फ्लो यानी मां से भ्रूण में होने वाले खून के प्रवाह में बाधा पैदा कर सकता है।
कितना खा सकते हैं फल
गर्भावस्था के दौरान नियमित रूप से सही मात्रा में फलों का सेवन फायदेमंद माना जा सकता है। डॉक्टर दिनभर में 3-4 बार फलों का सेवन करने की सलाह देते हैं। वहीं, एक शोध में फलों की प्रतिदिन तीन सर्विंग्स लेने की सलाह दी गई है।