जिम्मेदार विभागों की बेफिक्री के कारण शहर में वानर सेना का राज बढ़ता जा रहा है। जो आए दिन किसी ना किसी को अपना शिकार बना रहे हैं। शहर में सैकड़ों मामले बंदरों के काटे जाने के सामने आ चुके हैं तो वहीं दर्जनों मामलों में लोग बंदरों की वजह से घर की छत से गिरकर चोटिल हो चुके हैं। आलम यह है कि लोग अब घरों की छतों पर जाने से कतरा रहे हैं। शहर के कई घरों में लोगों ने बंदरों से बचने के लिए घर के आगे जालियां तक लगवा रखी हैं, लेकिन वानर सेना के आगे यह सब नाकाफी साबित हो रहा है, और यह छतों पर जाकर पौधों के गमलों से लेकर कपड़ों तक को नुकसान पहुंचा रहे हैं।
गांधी पार्क बंदरों के हवाले शहर के मुख्य गांधी पार्क में बंदरों का साम्राज्य लगातार बढ़ता जा रहा है। सुबह से लेकर रात तक बंदरों के झुण्ड के झुण्ड पार्क में मिल जाएंगे। जिस कारण पार्क में आने वाले लोगों को उनसे भय बना रहता है। कई बार पार्क में बंदरों के लोगों को काटे जाने के मामले भी सामने आ चुके हैं। बंदरों का खौफ इतना है कि लोग हाथ में कुछ सामान लेकर नहीं जा सकते। कई बार बंदर हाथ के सामानों को भी छुड़ाकर भाग जाते हैं।
कचहरी मेें दिन भर रहती धमाचौकड़ी शहर की कचहरी में बंदरों का आतंक सबके सामने हैं। यहां फरियादी, मुल्जिम, वकील और अन्य लोगों से ज्यादा बंदर ही बंदर धमाचौकड़ी मचाते देखे जा सकते हंै। इन बंदरों के आतंक से कचहरी में बैठने वाले अभिभाषकों का भी हाल बेहाल है। इनका सदा यह डर सताए रहता है कि पता नहीं कब कौन सा बंदर उनके कागजात को लेकर रफुचक्कर हो जाए। बंदरों के उत्पाद का इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह कोर्ट रूमों तक में घुस जाते हैं।
लावारिस श्वानों के आतंक का ग्राफ भी बढ़ा बंदरों के साथ शहर में आवारा श्वानों के आतंक का ग्राफ भी दिन दूना बढ़ता जा रहा है। गली, मोहल्लों से लेकर मुख्य बाजारों में आवारा श्वान घूमते रहते हैं। अगर किसी ने इनकी निंद्रा में थोड़ा सा भी खलल डाला तो ये उन्हें दण्ड देने से नहीं चूकते। जिस कारण जिला अस्पताल बंदरों के काटे जाने के साथ श्वानों के काटने के मामले भी बढ़ रहे हैं। 5 माह के आंकड़ों के अनुसार जिला अस्पताल में लगभग 1200 के आसपास मामले पहुंचे हैं।
आज तक नहीं हुई किसी बंदर और श्वान की नसबंदी श्वान और बंदरों की बढ़ती तादाद को लेकर नगर परिषद और पशु पालन विभाग मिलकर काम करते हैं। नगर परिषद सडक़ों पर घूमने वाले कुत्तों और बंदरों को पकड़ती है। वहीं पशुपालन विभाग कुत्तों और बंदरों के नसबंदी का ऑपरेशन कर उनकी बढ़ती जनसंख्या काबू करने में सहभागिता अदा करता है। नगर परिषद ने ऑपरेशन थिएटर का निर्माण नहीं कराने की वजह से श्वान और बंदरों की नसबंदी नहीं हो रही है।