अधिकारियों का हाइवे से प्रतिदिन आना-जाना
बता दें कि जिले में बीते साल 408 सडक़ दुर्घटनाओं में 220 जान गवा चुके हैं। जो साल 2022 से 17 कम हैं। अगर भरतपुर रेंज की बात करें तो आंकड़ा गंभीर है। छह जिलों में बीते साल सडक़ हादसों में 1153 लोग जान से हाथ धो बैठे। जबकि साल 2022 में यह आंकड़ा 1037 रहा था। यहां 11बी पर हाइवे पर गड्ढों की शुरुआत जिला कलक्ट्रेट से अगले तिराहे जगदीश तिराहे से हो जाती है। विशेष बात ये है कि अधिकारियों का इस हाइवे से प्रतिदिन आना-जाना है लेकिन इसके बाद भी हालत जस की तस बनी हुई है। उधर, मामले में कई दफा लोग क्षेत्रीय सांसद डॉ.मनोज राजौरिया से भी सडक़ सुधार को लेकर गुहार लगा चुके हैं लेकिन फिलहाल कोशिशें बेकार साबित हुई हैं।
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मौत के आंकड़े में मालूमी कमी, हादसे बढ़े : वहीं, आंकड़ों की बात करें तो बीते साल हादसों में मरने वालों की संख्या में मामूली कमी आई है। साल 2023 में जिले में हादसे में जान गवाने वालों की संख्या 220 रही जबकि साल 2022 में ये संख्या 237 रही थी। जबकि कुल सड़क हादसे बीते साल 408 रहे जबकि साल 2022 में 401 दुर्घटनाएं सामने आई। यानी देखा जाए तो खास सुधार नहीं हुआ है। घायलों की संख्या साल 2023 में 363 रही जबकि साल 2022 में 379 रही थी।
सड़क सुरक्षा माह में हादसों को रोकने पर नहीं ध्यान
फिलहाल सड़क सुरक्षा माह चल रहा है लेकिन हाइवे समेत अन्य मार्गों पर हो रही गड्ढे और कुछ स्थानों पर बनी तकनीकी खामियों को दूर करने का प्रयास नहीं किया जा रहा है। जिला कलक्टर के निर्देशन में बैठकें होती हैं लेकिन कुछ दिशा-निर्देशों के बाद बात पुरानी हो जाती है। लेकिन हादसे जारी रहते हैं। सड़क हादसों को रोकने के लिए कोई गंभीर प्रयास अभी तक नजर नहीं आए। हाइवे पर कई स्थानों पर तो साइनेज तक नहीं हैं। जिससे बाहर से आने वाले वाहन चालकों को स्थिति पाता नहीं चल पाती है।