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धौलपुर

किसी की स्वीप कार्यक्रम में भागाीदारी तो दूसरे का हरियाली पर ध्यान, कई शिक्षक मूल कार्य छोड़ दूसरे कार्यों में बहा रहे पसीना

धौलपुर. शिक्षा व्यवस्था को सुधारने के लिए प्रदेश सरकार तमाम प्रयास कर रही है। इसके लिए सरकार शिक्षण संस्थान में ज्यादा से ज्यादा शिक्षक लगाने का प्रयास कर रही है। जिससे शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्र के विद्यालयों में शिक्षण कार्य सुधारा जा सके।

धौलपुरSep 24, 2023 / 05:32 pm

Naresh

किसी की स्वीप कार्यक्रम में भागाीदारी तो दूसरे का हरियाली पर ध्यान, कई शिक्षक मूल कार्य छोड़ दूसरे कार्यों में बहा रहे पसीना

धौलपुर. शिक्षा व्यवस्था को सुधारने के लिए प्रदेश सरकार तमाम प्रयास कर रही है। इसके लिए सरकार शिक्षण संस्थान में ज्यादा से ज्यादा शिक्षक लगाने का प्रयास कर रही है। जिससे शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्र के विद्यालयों में शिक्षण कार्य सुधारा जा सके। लेकिन कई विद्यालय में पद रिक्त होने से अध्ययन कार्य प्रभावित हो रहा है। वहीं, कुछ विद्यालयों में शिक्षक तैनात तो हैं लेकिन वह मूल कार्य की बजाय दूसरे कार्य करने में लगे हुए हैं। खास बात ये है कि शिक्षा विभाग के अधिकारियों को इसकी जानकारी है लेकिन वह चुप्पी साधे हुए हैं।
आपको बताते दें कि कुछ शिक्षक तो जिला निर्वाचन विभाग में कार्य कर रहे हैं। ये दिनभर निर्वाचन संबंधी कार्यों में बढ़-चढकऱ जुटे रहते हैं। जबकि इनकी जरुरत विद्यालय को अधिक है। प्रशासनिक अधिकारियों को भी जानकारी होने के बाद भी वह इन्हें मूल विभाग में नहीं भेज पा रहे हैं। जबकि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत गत दिनों स्पष्ट कह चुके हैं कि शिक्षकों से पढ़ाई के अलावा कोई कार्य नहीं लिया जाएगा। लेकिन जमीनी स्तर पर हालात कुछ अलग ही बने हुए हैं। इसका सीधा असर शिक्षण कार्य पर पढ़ रहा है। नुकसान बच्चों को उठाना पड़ रहा है। वहीं, अभिभावक भी कई दफा इसको लेकर नाराजगी जता चुके हैं। गत दिनों कंचनपुर विद्यालय के स्टाफ के देरी से पहुंचने पर अभिभावक और विद्यार्थी नाराजगी जता चुके हैं।
उधर, जिले में राजकीय विद्यालयों में शिक्षण कार्य प्रभावित हो रहा है। विद्यालय में कई तो पद रिक्त चल रहे हंै। कहीं पढ़ाने के लिए स्टाफ है लेकिन वह विद्यालय से नदारद रहता है। विद्यार्थियों का कहना है कि उनका कोर्स पूरा नहीं हो रहा है। आने वाले दिनों में अद्र्ध वार्षिक परीक्षा शुरू होने वाली है। इसके लिए कई बार प्रधानाचार्य को अवगत कराया। लेकिन कोई सुधार नहीं हुआ। वहीं एक प्रधानाचार्य ने बताया कि उनके विभाग के अध्यापक दूसरे विभाग में पहुंच गए हंै। बच्चों के अभिभावको ने शिकायत की थी, तो कई बार इन्हें बुलाने के लिए पत्र भी लिख चुके हंै। लेकिन शिक्षक विद्यालय नहीं पहुंचे। वहीं, कुछ अध्यापक शिक्षक के पद पर रहते हुए कई विभाग में पहुंचकर बाबू का कार्य कर रहे हैं।
अद्र्ध परीक्षा जल्द, अधूरा पढ़ा कोर्स

राजकीय विद्यालय में छात्रों को पढ़ाने के लिए सरकार शिक्षकों को बेहतर वेतन दे रही है। जिससे विद्यार्थियों की पढ़ाई में दिक्कत न हो। गत दिनों जिले की शिक्षा में रैंक 32वीं रही, जो शिक्षा विभाग के अधिकारियों के सोचनीय विषय है। उधर, कुछ शिक्षकों के विद्यालय से गोता लगाने की वजह से विद्यार्थियों की पढ़ाई पर असर पड़ रहा है। इनका कोर्स भी पूरा नहीं हो पा रहा है। जिसकी वजह से बच्चे मोबाइल की मदद ले रहे हैं।
रैकिंग सुधार के दे रखे हैं निर्देश

माध्यमिक शिक्षा विभाग के निदेशक ने गत 11 सितम्बर को एक पत्र लिखा था। इसमें स्पष्ट तौर पर उन्होंने कहा कि धौलपुर, सिरोही व उदयपुर के अधिकारी प्राथमिकता देते हुए सघन मॉनिटरिंग कर अपने जिले में शिक्षा की स्थिति को सुधारें। लेकिन इनके निर्देशों को लेकर शिक्षा विभाग खास गंभीर नहीं दिखता है।
केस 1:

सैंपऊ क्षेत्र के मढ़ा में राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में तैनात शिक्षक करीब एक साल से विद्यालय में नहीं दिख रहे। ये विद्यालय में एक मुख्य विषय के शिक्षक हैं। लेकिन अब छात्रों को सिलेबस ही पूरा नहीं हो रहा है। कई बार विद्यार्थियों ने इसकी जानकारी अभिभावकों को भी दी है। लेकिन उसके बाद शिक्षक विद्यालय में नहीं पहुंचे। वहीं प्रधानाचार्य से इसके बारे में जानकारी ली तो उनका कहना था कि कई बार शिक्षा विभाग को पत्र लिख चुके हंै। लेकिन शिक्षक विद्यालय में आए हैं।
केस 2:

धौलपुर शहर के राधा विहारी रोड स्थित राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय में आठ पद रिक्त चल रहे हैं। जिससे यहां पर शिक्षण कार्य बाधित हो रह है। वहीं, दो शिक्षक यहां पर शिक्षण कार्य के लिए तैनात हैं। लेकिन वह दूसरे विभाग में रहकर सरकारी कार्यक्रम में व्यस्त रहते हैं और अन्य कार्य कर रहे हैं। इन्हें शिक्षण कार्य से जरा भी मतलब नहीं है। इससे छात्राओं की पढ़ाई भी प्रभावित हो रही है।
केस 3:

जिले में एक शिक्षक तो पूरी तरह मूल कार्य छोडकऱ पर्यावरण पर ही ध्यान दे रहे हैं। ये केवल घर से कलक्ट्रेट पहुंचते हैं और फिर ये अपने दूसरे कार्यों में लग जाते हैं। जबकि उक्त शिक्षक की जरुरत विद्यालय में अधिक है। शिक्षा विभाग को इनकी जानकारी है लेकिन कोई कार्रवाई नहीं करता। ये शिक्षक हमेशा अपने दूसरे कार्यों में अति व्यस्त रहते हैं।
– शिक्षकों विद्यालय में तैनात कर रखा है। कुछ पद रिक्त बने हुए हैं। जैसे ही शिक्षक मिलते हैं उन्हें विद्यालय में लगाया जाएगा। वहीं, कुछ शिक्षक दूसरे विभाग में पहुंच गए हैं, इसकी जानकारी है। प्रशासनिक कार्य की वजह से उन्हें लगाया हुआ है। जल्द ही उनको मूल पद लगाया जाएगा।
– महेश कुमार मंगल, डीईओ धौलपुर

– शिक्षक का मूल कार्य बच्चों को पढ़ाने है। विद्यालय में छात्रों की पढ़ाई प्रभावित होती है। कोई कलक्ट्रेट तो कोई एसडीएम कार्यालय में तैनात है। जो शिक्षक है वह मूल कार्य हटकर कार्य कर रहा है। इसके बावजूद प्रशासनिक दूसरे कार्य में लगाते हैं। जबकि इन्हें पढ़ाना चाहिए। संगठन इसका विरोध करता है।
– यादवेन्द्र शर्मा, प्रदेश प्रवक्ता, राजस्थान शिक्षक संघ शेखावत

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