हिन्दू धर्म शास्त्रों उल्लेख आता है कि धरती का उद्धार करने एवं मनुष्यों को सहीं रास्ता दिखाने के लिए परम पिता परमात्मा मानव का रूप धारण कर धरती आते रहे हैं और भविष्य में भी किसी न किसी रूप में आते ही रहेंगे। अवतारों में एक अवतार भगवान श्रीकृष्ण का भी हैं जिन्हें श्री नारायण विष्णु जी का अवतार माना जाता है, जिन्होंने द्वापरयुग में जन्म लेकर धरती और मनुष्य जाति का उद्धार किया था। लेकिन देवी पुराण में स्पष्ट रूप से वर्णन आता है कि देवताओं के निवेदन पर माता महाकाली ने ही श्रीकृष्ण के रूप में अवतार लिया था। जानें क्या है पूरा रहस्य।
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देवी पुराण का रहस्य
देवी पुराण में बताया गया है कि भगवान श्रीकृष्ण, विष्णु भगवान के अवतार नहीं थे और ना ही देवी राधा जी माता लक्ष्मी की अवतार थी। देवी पुराण में स्पष्ट रूप से लिखा गया है कि योगेश्वर श्रीकृष्ण माता महाकाली के अवतार थे और देवी राधा जी स्वंय भगवान शिवशंकर का अवतार थी। देवी पुराण के अनुसार धरती से अधर्म और असुरों के नाश के लिए देवताओं और ऋषियों के निवेदन पर द्वापरयुग में महाकाली माता ने श्रीकृष्ण के रूप में देवकी के गर्भ से जन्म लिया था। देवी पुराण में लिखा गया हैं कि भगवान शिवशंकर जी ने वृषभानु की पुत्री श्री राधा जी के रूप में जन्म लिया था।
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महाकाली ने पांडवों को दिया था वरदान
देवी पुराण में यह भी लिखा गया है कि भगवान श्री विष्णु जी ने बलराम तथा अर्जुन के रूप में अवतार लिया था। देवी पुराण के अनुसार जब पांडव वनवास के दौरान कामाख्य शक्तिपीठ पहुंचे तो वहां उन्होंने तप किया था और उनके तप से प्रसन्न होकर माता महाकाली प्रकट हुई और उन्होंने पांडवों से कहा कि मैं श्रीकृष्ण के रूप जन्म लेकर तुम्हारी सहायता करूंगी तथा कौरवों का विनाश करके धर्म की स्थापना करूंगी। देवीपुराण के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण ने कंस का वध भी मां काली के रूप में ही किया था।
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