पंचांग के अनुसार साल 2024 में कन्या संक्रांति 16 सितंबर सोमवार को है। इस दिन विश्वकर्मा पूजा कन्या संक्रांति का समय रात 7.53 बजे है। लेकिन विश्वकर्मा पूजा शाम को होने से कई लोग दुविधा में हैं। आइये जानते हैं 16 सितंबर को विश्वकर्मा पूजा करें या 17 सितंबर को
कब करें विश्वकर्मा पूजा
स्थापत्य वेद के लेखक और ब्रह्माजी के मानस पुत्र विश्वकर्मा जी की पूजा प्रायः कारीगर, शिल्पकार, मैकेनिक, लोहार, वेल्डर, कारखानों के श्रमिक, इंजीनियर, आर्किटेक्ट आदि करते हैं और कार्यस्थल पर सुरक्षा, तरक्की के लिए प्रार्थना करते हैं। मान्यता है कि भगवान विश्वकर्मा के आशीर्वाद से ही व्यापार में उन्नति होती है और विघ्न बाधा दूर रहती है। लेकिन कन्या संक्रांति शाम को होने से कई लोगों के मन में सवाल है कि विश्वकर्मा पूजा कब करें। इस पर विद्वानों और ज्योतिषियों के अलग-अलग मत हैं। भोपाल के ज्योतिषाचार्य अरविंद तिवारी के अनुसार कन्या संक्रांति रात में हो रही है, इसलिए उदयातिथि में विश्वकर्मा पूजा अगले दिन सुबह करना चाहिए। हालांकि कुछ अन्य विद्वानों का मत है कि 17 सितंबर को भादों पूर्णिमा का श्राद्ध होगा और इस दिन भद्रा भी लग रही है। इसलिए इसके पूर्व ही विश्वकर्मा पूजा कर लेना चाहिए। इसलिए अलग-अलग कैलेंडर में विश्वकर्मा पूजा की तारीख अलग-अलग बताई जा रही है और कुछ लोग 16 सितंबर को तो कुछ 17 सितंबर को विश्वकर्मा पूजा करने की सोच रखे हुए हैं।
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17 सितंबर को भद्रा, कब करें पूजा
हिंदू पंचांग के अनुसार 17 सितंबर को पृथ्वी पर भद्रा का वास है। इस दिन भद्रा काल सुबह 11.44 बजे से राता 9.55 बजे तक है। पृथ्वी पर भद्रा का वास शुभ, मांगलिक कार्यों के लिए अशुभ मानी जाती है। मान्यता है कि इस समय किए काम में विघ्न आते हैं और उत्तम फल नहीं मिलता है। साथ ही इस भद्राकाल में प्राणियों को कष्ट पहुंचता है। इसलिए लोग इस समय शुभ कार्य करने से परहेज करते हैं। हालांकि पूजा अर्चना का कार्य अशुभ समय में करने में कोई दोष नहीं माना जाता है। फिर भी वाराणसी के पुरोहित पं शिवम तिवारी का कहना है कि विश्वकर्मा पूजा अगर 17 सितंबर को करना चाह रहे हैं तो इसे भी भद्राकाल से पहले कर लें। इस दिन 17 सितंबर को विश्वकर्मा पूजा करने का मुहूर्त सुबह 06:07 बजे से 11:44 बजे तक ठीक है।