1. स्कंद षष्ठी के दिन षष्ठी स्त्रोत का पाठ करना चाहिए। ऐसा करने से अजय संतान प्राप्त होती है। इस दिन भगवान कार्तिकेय का नाम भी जपना चाहिए।
2. स्कंद षष्ठी के दिन भगवान कार्तिकेय को लाल चंदन चढ़ाने पर उस व्यक्ति की संतान कठिन परिस्थितियों से निकल जाती है। साथ ही शख्स भी बाधाओं से निकल जाता है।
2. स्कंद षष्ठी के दिन भगवान कार्तिकेय को लाल चंदन चढ़ाने पर उस व्यक्ति की संतान कठिन परिस्थितियों से निकल जाती है। साथ ही शख्स भी बाधाओं से निकल जाता है।
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3. स्कंद षष्ठी के दिन ऊँ हीं षष्ठीदेव्यै स्वाहा मंत्र का जाप कमलगट्टे की माला से 1100 बार करने से इच्छित वरदान की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही इस दिन माता दुर्गा को पुष्प, धूप, दीप, अक्षत, नैवेद्य चढ़ाना चाहिए। ऐसा करने से व्यक्ति का हर काम सफल होता है।
4. पुरोहितों के अनुसार इस दिन मोर की पूजा करने से संतान पर आया संकट टल जाता है।
3. स्कंद षष्ठी के दिन ऊँ हीं षष्ठीदेव्यै स्वाहा मंत्र का जाप कमलगट्टे की माला से 1100 बार करने से इच्छित वरदान की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही इस दिन माता दुर्गा को पुष्प, धूप, दीप, अक्षत, नैवेद्य चढ़ाना चाहिए। ऐसा करने से व्यक्ति का हर काम सफल होता है।
4. पुरोहितों के अनुसार इस दिन मोर की पूजा करने से संतान पर आया संकट टल जाता है।
5. स्कंद षष्ठी के दिन भगवान कार्तिकेय को कमल पुष्प और चक्र चढ़ाने से संतान सुधरती है।
6. अगर बच्चा गलत संगत में पड़ जाय तो उससे सुधारने के लिए स्कंद षष्ठी के दिन भगवान कार्तिकेय को मोर पंख, बूंदी से बने लड्डू, केसर और शंख चढ़ाना चाहिए।
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कब है स्कंद षष्ठीः पंचांग के अनुसार फाल्गुन महीने में स्कंद षष्ठी 25 फरवरी शनिवार को पड़ रही है। फाल्गुन स्कंद षष्ठी की शुरुआत 25 फरवरी 12.31 एएम से हो रही है और यह तिथि 26 फरवरी 12.20 एएम तक है। दक्षिण भारत में यह व्रत छह दिन रखा जाता है, मान्यता है कि इसमें से एक दिन फलाहार किया जाता है।