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धर्म-कर्म

जाने क्यों किया जाता हैं- षोडश मातृका पूजन-सप्त घृतमातृका पूजन एवं नवग्रह स्थापना

जाने क्यों किया जाता हैं- षोडश मातृका पूजन-सप्त घृतमातृका पूजन एवं नवग्रह स्थापना

Jun 01, 2018 / 05:33 pm

Shyam

जाने क्यों किया जाता हैं- षोडश मातृका पूजन-सप्त घृतमातृका पूजन एवं नवग्रह स्थापना

किसी भी शुभ अवसरों या पर्व त्यौहारों पर एवं विशेषकर विवाह संस्कार में षोडश मातृकाओं, सप्त घृतमातृकाओं एवं नवग्रह की स्थापना कर किए जा रहे कार्य की सफलता के लिए विशेष प्रार्थना की जाती हैं, और कहा जाता हैं कि विवाह जैसे पवित्र कर्म में इनके स्थापन और पजून का विधि विधान से करने पर निर्विघ्न रूप से आजोजन पूर्ण हो जाता हैं । साथ ही इनकी कृपा से व्यक्ति को धन और मान सम्मान की प्राप्ति भी होती हैं । जाने पूजा विधि ।

नवग्रह पूजन मंत्र
बुधः– प्रियंगु कलिका श्यामं रुपेणप्रतिमं बुधम् । सौम्यं सौम्यगुणोपेतं तं बुधं प्रणमाम्यहम् ॥

गुरुः– देवानां च ऋषीणां च गुरुं कांचनसन्निभम् । बुद्धिभूतं त्रिलोकेशं तन्नमामि वृहस्पतिम् ॥

शुक्रः– हिम कुन्दमृणालाभं दैत्यानां परमं गुरुम् । सर्वशास्त्र प्रवक्तारं भार्गवं प्रणमाम्यहम् ।

शनिः– नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजं । छायामार्तण्डसंभूतं तन्नमामिशनैश्चरम् ॥

राहुः– अर्द्धकायं महावीरं चन्द्रादित्यविमर्दनम् । सिंहिकागर्भ संभूतं तं राहुं प्रणमाम्यहम् ॥

केतुः– पलाश पुष्प संकाशं तारकाग्रह मस्तकम् । रौद्रं रौद्रत्मकं घोरं तं केतु प्रणमाम्यहम् ॥

नीचे लिखे मन्त्रों से नवग्रहों का पृथक – पृथक आह्वान कर पूर्व लिखित विधि अनुसार प्रतिष्ठा, अर्घ्य, पाद्य, स्नान, नैवेद्यादि समर्पित कर पूजन करें ।

सूर्यः– जपा कुसुम संकाशं काश्पेयं महाद्युतिम् । तमोऽरि सव्र पापघ्नं प्रणतोऽस्मि दिवाकरम् ॥

चन्द्रः– दधि शंख तुषाराभं क्षीरोदार्णव संभवत् । नमामि शशिनं सोम शम्भोर्मुकुटभूषणम् ॥

मंगलः– धरणी गर्भसंभूतं विद्युत्कान्तिसमप्रभम् । कुमारं शक्ति हस्तं च मंगलं प्रणमाम्यहम् ॥


इन मंत्रों से आह्वान के बाद विधि पूर्वक नौग्रहों का पूजन करें । तदन्तर हाथ जोड़ कर प्रार्थना करें-

ब्रह्मा मुरारिः त्रिपुरान्तकारी भानु शशी भूमि सुतो बुधश्च ।
गुरुश्च शक्रो शनि राहु केतवः सर्वे ग्रहाः शान्ति करा भवन्तु ॥

 

षोडश मातृका पूजन

1. गणेश गौरी, 2. पद्मा, . शची, 4. मेधा, 5. सावित्री, 6. विजया, 7. जया, 8. देव सेना, 9. स्वधा, 10. स्वाहा, 11. मातरः, 12. लोकमातरः, 13. धृतिः, 14. पुष्टिः, 15. तुष्टिः, 16. आत्मनः कुलदेवताः ।

 

इन मातृकाओं का पूर्ववत् पूजन करें ।

षोडशमातृका चक्र


पूर्व
लाल 16 आत्मन कुल देवता सफेद चावल 12 लोक माताः लाल
8 देव सेना सफेद चावल 4 मेधा
सफेद चावल 15 तुष्टिः लाला
लाल 11 माताः सफेद चावल 7 जया लाल


3 शची
लाल
14 पुष्टिः सफेद चावल 15 स्वाहा लाल
6 विजया सफेद चावल 2 पद्‍मा
सफेद चावल 13 धृतिः लाल
9 स्वधा सफेद चावल 5 सावित्री लाल
1 गणेश, गौरी
पश्चिम

 

सप्त घृतमातृका पूजन

अग्निकोण में दीवार पर घी की धार से सात बिन्दुओं को बनाकर गुड़ में मिला देना चाहिए और नाम ले लेकर उनका आह्वान – पूजन करना चाहिए । सप्तघृत मातृकाओं के नाम क्रमशः इस प्रकार हैं –
1. ॐ कीर्त्यै नमः, 2. ॐ लक्ष्म्यै नमः, 3. ॐ धृत्यै नमः, 4. ॐ मेधायै नमः, 5. ॐ स्वाहायै नमः, 6. ॐ प्रज्ञायै नमः, 7. ॐ सरस्वत्यै नमः ।


इस प्रकार उपरोक्त विधि विधान से पूजन करने पर इन सभी देव शक्तियों की असीम कृपा से सभी कार्य निर्विघ्न सम्पन्न हो जाते हैं ।

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